निराकुल सागरजी द्वारा रचित अनन्त नाथ विधान *समर्पण भावना*टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा चिराग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ हाथ लगी कस्तूरी,दूर दिखी दौड़-भाग ।यादें अवशेष द्वेष,चित् खाने चार राग ।‘धन्य […]

निराकुल सागरजी द्वारा रचित अनन्त नाथ विधान *समर्पण भावना*टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा चिराग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ हाथ लगी कस्तूरी,दूर दिखी दौड़-भाग ।यादें अवशेष द्वेष,चित् खाने चार राग ।‘धन्य […]
*समर्पण भावना*टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा चिराग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ हाथ लगी कस्तूरी,दूर दिखी दौड़-भाग ।यादें अवशेष द्वेष,चित् खाने चार राग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ भँवरे-सा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित वासुपूज्य विधान *समर्पण भावना*टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा चिराग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ हाथ लगी कस्तूरी,दूर दिखी दौड़-भाग ।यादें अवशेष द्वेष,चित् खाने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित श्रेयो-नाथ विधान *समर्पण भावना*टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा चिराग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ हाथ लगी कस्तूरी,दूर दिखी दौड़-भाग ।यादें अवशेष द्वेष,चित् खाने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित शीतलनाथ विधान *समर्पण भावना*टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा चिराग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ हाथ लगी कस्तूरी,दूर दिखी दौड़-भाग ।यादें अवशेष द्वेष,चित् खाने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित सुविधिनाथ विधान *समर्पण भावना*टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा चिराग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ हाथ लगी कस्तूरी,दूर दिखी दौड़-भाग ।यादें अवशेष द्वेष,चित् खाने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित चन्द्रप्रभ विधान *समर्पण भावना*टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा चिराग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ हाथ लगी कस्तूरी,दूर दिखी दौड़-भाग ।यादें अवशेष द्वेष,चित् खाने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित सुपार्श्वनाथ विधान *समर्पण भावना*टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा चिराग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ हाथ लगी कस्तूरी,दूर दिखी दौड़-भाग ।यादें अवशेष द्वेष,चित् खाने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पद्मप्रभ विधान *समर्पण भावना*टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा चिराग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ हाथ लगी कस्तूरी,दूर दिखी दौड़-भाग ।यादें अवशेष द्वेष,चित् खाने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित सुमतिनाथ विधान *समर्पण भावना*टूट चली चिर निद्रा,जुड़ चली अपूर्व जाग ।चीर घना अंधकार,एक जग उठा चिराग ।‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’‘धन्य घड़ी, धन्य भाग’ हाथ लगी कस्तूरी,दूर दिखी दौड़-भाग ।यादें अवशेष द्वेष,चित् खाने […]
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