==आरती== आ-रती आओ उतारें ।पादुका गुरु शीष धारें ।। गुरु सुरग, गुरु चार तीरथ ।मोक्ष गुरु, गुरु शुभ-मुहूरत ।।फिर न भव मानव संवारे ।आ-रती आओ उतारें ।पादुका गुरु शीष धारें ।।१।। गुरु हि ब्रह्मा, गुरु हि विष्णू ।रुद्र गुरु, गुरु […]
==आरती== आ-रती आओ उतारें ।पादुका गुरु शीष धारें ।। गुरु सुरग, गुरु चार तीरथ ।मोक्ष गुरु, गुरु शुभ-मुहूरत ।।फिर न भव मानव संवारे ।आ-रती आओ उतारें ।पादुका गुरु शीष धारें ।।१।। गुरु हि ब्रह्मा, गुरु हि विष्णू ।रुद्र गुरु, गुरु […]
==आरती== आरती छोटे बाबा कीमिटाती पीर सुनो साथी ।भिंटाती तीर, चुनो साथी ।।छोड़ के और काम बाकी ।आरती छोटे बाबा की अश्रु जल भर के आंखों में ।दीप घृत लेके हाथों में ।करो संध्या तीनों साथी ।छोड़ के और काम […]
==आरती== ।। गुरु धरती के देव कहाते ।। सांझ सांस मिल आ-रति कीजे ।सहजो पूर्ण मनोरथ कीजे ।।वेद, पुराण, शास्त्र बतलाते ।गुरु धरती के देव कहाते ।।१।। श्रद्धा सुमन समर्पित कीजे ।इह-भव जश, पर-भव सुख लीजे ।।विघन, उपद्रव, कष्ट मिटाते […]
श्रुत देव लघु चालीसा‘दोहा’ मेरा अपना तुम सिवा,यहाँ न कोई और Iजब-जब दूँ, आवाज मैं, आ जाना माँ दौड़ ।। माँ बच्चों को चुनती ।माँ बच्चों की सुनती ।। माँ दिल रखे अनोखा । दिल रखती बच्चों का ।।१।। बच्चे […]
श्री शान्ति, कुन्थ, अर लघु चालीसा ‘दोहा’ आ सत्संगत से जुड़ें,कलि इस भाँत न और ।थकना, थमना अन्त में,तजें न क्यों मृग दौड़ ।। कहा यूँ ही ना दीन-दयाल ।तुम्हें रहता भक्तों का ख्याल ।।दूसरे काम और सब छोड़ ।बुलाते […]
पंच बालयतिलघु चालीसा‘दोहा’ कीर्तन सिवा न दूसरा, कलि कल्याणक द्वार ।आ पल पल सु-मरण करें, ना ‘कि तीज त्योहार ।। दया से भींगे तेरे नैन ।और हित रहते तुम बेचैन ।।किसी की देख न सकते पीर ।दृगों से बहने लगता […]
आचार्य श्री ‘लघु-चालीसा’‘दोहा’श्रद्धा से जिसने लिया, विद्या सागर नाम ।आँखों देखी कह रहा, बनता बिगड़ा काम ।। जयतु जयतु जय विद्या-सागर । सन्त शिरोमण ! गुण रत्नाकर ।। श्री मति सुत मल्लप्पा नन्दन ।जन्म सदलगा माटी चन्दन ।।१।। कोमल हृदय […]
*सरस्वती-वन्दना* प्रथमं भारती नाम ।दृग् नम निस्वार्थ प्रणाम ।।१।।द्वितीयं च सरस्वती ।दृग् नम शत शिरोन्नती ।।२।। तृतीयं शारदा देवी ।वन्दनम् सदा सर्वदा ही ।।३।।चतुर्थं हंस-गामिनी ।नुति दृग् नम मन-वच-तनी ।।४।। पंचमं विदुषां माता ।वाग्-मन-वपुषा सिर नाता ।।५।।षष्ठं वागीश्वरी तथा ।दृग् […]
आद भरत बाहुबल लघु चालीसा ‘दोहा’सुमरण सु-मरण सा कहा,आ लें दो पल साध ।हो चाले यूँ ही नहीं,मरण अखीर समाध ।। मन से था किया बस याद । मन की हुई पूर्ण मुराद ।।करुणा दया अवतारी ।महिमा प्रभु पुरु न्यारी […]
आदिनाथ ‘लघु चालीसा’=दोहा=जा कछु…आ मन भीतरी,छोड़ी होगी छाप ।जुबां-जुबां नर्तन करें,तभी ‘आदि-जय’ जाप ।। कहे खुद भक्तों का ताॅंता ।एक थारा-द्वारा साॅंचा ।।भक्त के होते हैं आँसू । भिंजोता अपनी आँखें तू ।।१।। आग बदली है सरवर में । नाग […]
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