लघु संभव नाथ पूजन विधान सिमरा सिरफ सम्भव नाम ।संभव असम्भव सब काम ।।करुणा क्षमा भण्डारी ।जिन संभव जयतु थारी ।।ॐ ह्रीं श्री संभव जिनेन्द्र !अत्र अवतर अवतरण संवौषट्(इति आह्वानन)अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:(इति स्थापनम्)अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्(इति […]
लघु संभव नाथ पूजन विधान सिमरा सिरफ सम्भव नाम ।संभव असम्भव सब काम ।।करुणा क्षमा भण्डारी ।जिन संभव जयतु थारी ।।ॐ ह्रीं श्री संभव जिनेन्द्र !अत्र अवतर अवतरण संवौषट्(इति आह्वानन)अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:(इति स्थापनम्)अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्(इति […]
लघु अजित-नाथ पूजन विधान हंस विवेकी ।अहिंस एकी ।प्रशंस नेकी ।देश विदेशा, और न ऐसा ।जयतु जयतु जय अजित जिनेशा ।।ॐ ह्रीं श्री अजित जिनेन्द्र !अत्र अवतर अवतरण संवौषट्(इति आह्वानन)अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:(इति स्थापनम्)अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्(इति […]
लघु आदिनाथ पूजन विधान बाल हो चले बड़े ।माह छह अचल खड़े ।।चल हजार-चार इन ।त्याग तपस्या कठिन ।जयतु जयतु आदि जिन ।।ॐ ह्रीं श्री आदि जिनेन्द्र !अत्र अवतर अवतरण संवौषट्(इति आह्वानन)अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:(इति स्थापनम्)अत्र मम सन्निहितो भव […]
समर्पण भावना अमृत रूखा सूखा ।साधु न लौटा भूखा ।।पर धन पत्थर ढ़ेरी ।मुझपे बड़ी कृपा है तेरी ।भगवन् ! बड़ी कृपा है तेरी ।।१।। ना मुझे किसी से लेना ।ना मुझे किसी का देना ।।निरत मदद बिन देरी ।मुझपे […]
आओ ‘री आओ ।सखि ! आओ ‘री आओ ।पर्व अठाई पूज रचाओ ।।आओ ‘री आओ ।अविनश्वर है ।पुन अक्षर है ।शिव सुन्दर है ।द्वीप आठवां नन्दीश्वर है ।।दृग कलशों में, जल भर लाओ ।।पर्व अठाई पूज रचाओ ।आओ ‘री आओ […]
दोहा सिद्ध, स्वर्ग-शिव सारथी,सूरि, पाठि, निर्ग्रन्थ ।जैन धर्म, जिन-भारती,जिन-गृह, चैत्य-जिनन्द ।। कर्म घातिया घात जे,नन्त चतुष्टय वन्त ।हितु शिशु दीनानाथ वे, जयतु जयतु अरिहन्त ।।१।। कर्म अघात विनाश जे,मण्डित गुण अगणन्त ।स्वर्णाक्षर इति…हास वे,जय जय सिद्ध अनन्त ।।२।। मण्डित गुण […]
परम पूज्य मुनि श्री १०८ अजय सागर जी महाराज का जीवन परिचय पूर्वनामब्रह्मचारी राकेश भैया (राकेश कुमार जैन)पिता स्व. श्री राजेंद्र कुमार जैनमाता स्व. श्री कमली बाई जैन पूर्व धर्मपत्नीश्रीमति अंजना जैन (तीन प्रतिमा धारी) जन्म तिथि08-01-1963जन्म स्थान गोटेगांव (श्री […]
कुंदकुंद को नीत नमो, हृदय कुंद खुल जाय ।परम सुगंधीत महक में, जीवन मम भुल जाय ॥ॐ ह्रीं श्री आचार्य कुंदकुंद मुनिंद्राय नमो नमःस्वामी समंतभद्र हो, मै तो रहा अभद्र ।मम उरमें तुम आ वसो, बन जाऊं मै भद्र ॥ॐ […]
एक बार भीषण गर्मी में विशाल वृक्ष के नीचे इकट्ठे हुये पशुओं से वनराज सिंह ने प्रश्न किया कि यदि आपकी और मनुष्य की मुलाकात हो तो आप उससे क्या कहेंगे ?१) कोयल ने कहा- मैं मनुष्य को अपनी आवाज […]
बन्धुओं विचार करो यदि मनुष्य का अगर सबसे पहला और निकट का सबंध होता है तो वह माता-पिता का होता है, बाकी सगे सम्बंधी, पत्नि, पुत्र का नाता तो बाद में जुडता है । सबसे पहले माता पिता से नाता […]
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