परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित रक्षाबंधन विधान *पूजन *जयतु सप्त-शत अकंपनादिक, विष्णु कुमार श्रमण ।बार बार करता आह्वानन ।सविनय मैं करता संस्थापन ।।आन पधारो, हदय हमारे ।मुझे उबारो, लाखों तारे, स्वीकार सन्निधि-करण ।जयतु सप्त-शत अकंपनादिक, विष्णु कुमार […]