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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 927

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 927

मेरी खबर, जो है तुम्हें
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर

हूँ गोद में माँ की
जब पोत खे माँझी
तब क्या हो जाता नहीं
बड़ा मुश्किल भी
आसान सफर
करूँ तो करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर
जो है तुम्हें, मेरी खबर ।।स्थापना।।

नीर क्षीर लाता हूँ
हर रोज आता हूँ
मैं तेरे द्वार पर
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर
मेरी खबर, जो है तुम्हें
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर ।।जलं।।

नन्द-गन्ध लाता हूँ
हर रोज आता हूँ
मैं तेरे द्वार पर
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर
मेरी खबर, जो है तुम्हें
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर ।।चन्दनं।।

थाल-शाल लाता हूँ
हर रोज आता हूँ
मैं तेरे द्वार पर
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर
मेरी खबर, जो है तुम्हें
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर ।।अक्षतं।।

कुटुम-कुसुम लाता हूँ
हर रोज आता हूँ
मैं तेरे द्वार पर
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर
मेरी खबर, जो है तुम्हें
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर ।।पुष्पं।।

भात-भाँत लाता हूँ
हर रोज आता हूँ
मैं तेरे द्वार पर
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर
मेरी खबर, जो है तुम्हें
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर ।।नैवेद्यं।।

मोति-ज्योति लाता हूँ
हर रोज आता हूँ
मैं तेरे द्वार पर
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर
मेरी खबर, जो है तुम्हें
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर ।।दीपं।।

नूप-धूप लाता हूँ
हर रोज आता हूँ
मैं तेरे द्वार पर
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर
मेरी खबर, जो है तुम्हें
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर ।।धूपं।।

केल-भेल लाता हूँ
हर रोज आता हूँ
मैं तेरे द्वार पर
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर
मेरी खबर, जो है तुम्हें
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर ।।फलं।।

सरब-दरब लाता हूँ
हर रोज आता हूँ
मैं तेरे द्वार पर
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर
मेरी खबर, जो है तुम्हें
करूँ क्यूँ मैं, कोई फिकर ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
ले जाते गुरु ‘जी’ चुरा के,
प्रभु जी सा मुस्कुरा के

जयमाला
तुम जादूगर नहीं
करते हो मगर, कम न जादूगरी

जुदा से तुम
हो ख़ुदा से तुम
है मोहन धूली

नजर उठाना
तेरा मुस्कुराना
है कहाँ मामूली
है कोई मोहन धूली

अंधेरा टिकता नहीं
तेरी क्या क्या पड़ी
पाप ने पकड़ी यम गली
बन चाले बिगड़ी
तेरी क्या क्या पड़ी

नजर उठाना
तेरा मुस्कुराना
है कहाँ मामूली
है कोई मोहन धूली

तुम जादूगर नहीं
करते हो मगर, कम न जादूगरी

जुदा से तुम
हो ख़ुदा से तुम
है मोहन धूली

नजर उठाना
तेरा मुस्कुराना
है कहाँ मामूली
है कोई मोहन धूली

भीतर रोशनी जगी
तुमने क्या मुस्कुराया
खिली मुरझाई कली
समेटी गम ने माया
तुमने क्या मुस्कुराया

नजर उठाना
तेरा मुस्कुराना
है कहाँ मामूली
है कोई मोहन धूली

तुम जादूगर नहीं
करते हो मगर, कम न जादूगरी

जुदा से तुम
हो ख़ुदा से तुम
है मोहन धूली

नजर उठाना
तेरा मुस्कुराना
है कहाँ मामूली
है कोई मोहन धूली
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
लगा भक्तों का मेला
दे बता सन्त ये अलबेला

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