परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन-69 पीर पराई, कर चाली दृग् नम । जय विद्या-सागरम् । तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।। जय विद्या-सागरम् ।।स्थापना।। मण कलशे । भर जल से ।। लाये, आये हम । जय […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन-69 पीर पराई, कर चाली दृग् नम । जय विद्या-सागरम् । तीर्थ सदलगा, जन्म शरद् पूनम ।। जय विद्या-सागरम् ।।स्थापना।। मण कलशे । भर जल से ।। लाये, आये हम । जय […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 68 पाप नाग क्षय । हाँप भाग भय ।। मनु मोरनी आवाज, जय जयतु जय विद्या सागर महाराज । जय जयतु जय ।।स्थापना।। क्षीर नीर घट । नीर-क्षीर मत ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 1008 आ भक्ति धारा में बहते जय विद्या, जय विद्या कहते जय विद्या मन्त्र आश-पूरण जय विद्या, जय विद्या जप मन ।।स्थापना।। ले हाथो में घट जल कंचन जय विद्या, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 1007 श्री गुरु डोर, मैं पतंग श्री गुरु सिन्धु, मैं तरंग गुरु पद पंकज, मैं भृंग चढ़ा मुझ पे गुरु भक्ति रंग जयवन्त जयवन्त श्री गुरु विद्यासिन्ध जयवन्त ।।स्थापना।। क्यूँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 1006 आ मिल कर करते पूजा गुरु भगवन् जैसा दूजा नहीं कोई जहां दोई मैनें जा जा कर खोजा जहां दोई नहीं कोई गुरु भगवन् जैसा दूजा आ मिल कर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 1005 जैसे माँ को बच्चे प्यारे प्यारे गुरु को बच्चे सारे गुरु धरती के देव कहाते आ पूजा गुरुदेव रचाते ।।स्थापना।। नीर क्षीर-सागर ले आते आ पूजा गुरुदेव रचाते जैसे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 1004 भव सिन्धु पार पाना आसान बड़ा बस आशा न बढ़ा आ शान बढ़ा गुरु भक्ति इक ठिकाना जो भव सिन्धु पार पाना ।।स्थापना।। गुरु चरणों में आओ मन जल […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 1003 बच्चों की बात मानते गुरु जी मन पढ़ना जानते गुरु जी खुद के समान हैं दया, क्षमा, करुणा निधान हैं ।।स्थापना।। आओ गुरु चरणन आओ लाओ जल कंचन लाओ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 1002 दूर तेरी पूजा लेते ही तेरा नाम बनते हैं बिगड़े काम मेरे भगवन् ! तुम्हे मेरे अनगिन प्रणाम ।।स्थापना।। दूर पूरी पूजा चढ़ाते ही जल क्षीर बन चलती है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 1001 लाती चेहरे नूर है दूर करती गुरुर है गुरु पूजा आ मनुआ ‘रे आ मनुआ करते हम मिलकर श्री गुरुवर पूजा ।।स्थापना।। ला मनुआ ‘रे आ मनुआ जल गंगा […]
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