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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 893

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 893

ज्यों ही आते हैं,
जिन्दगी में, गुरु जी लाते हैं
ढ़ेर खुशी,
इक रोशनी
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी
ज्यों ही आते हैं,
जिन्दगी में, गुरु जी लाते हैं
ढ़ेर खुशी,
इक रोशनी ।।स्थापना।।

लाया जल गंग सुराही ।
आया बनने सद्-राही ।।
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी
ज्यों ही आते हैं,
जिन्दगी में, गुरु जी लाते हैं
ढ़ेर खुशी,
इक रोशनी
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी ।।जलं।।

लाया रज मलय सुहानी ।
आया, रख सकूँ ‘कि पानी ।।
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी
ज्यों ही आते हैं,
जिन्दगी में, गुरु जी लाते हैं
ढ़ेर खुशी,
इक रोशनी
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी ।।चन्दनं।।

लाया थाली धाँ शाली ।
आया मन सके दिवाली ।।
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी
ज्यों ही आते हैं,
जिन्दगी में, गुरु जी लाते हैं
ढ़ेर खुशी,
इक रोशनी
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी ।।अक्षतं।।

लाया दिव पुष्प पिटारी ।
आया बनने अविकारी ।।
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी
ज्यों ही आते हैं,
जिन्दगी में, गुरु जी लाते हैं
ढ़ेर खुशी,
इक रोशनी
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी ।।पुष्पं।।

लाया अरु अरु घृत मिसरी ।
आया, बन चले ‘कि बिगड़ी ।।
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी
ज्यों ही आते हैं,
जिन्दगी में, गुरु जी लाते हैं
ढ़ेर खुशी,
इक रोशनी
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी ।।नैवेद्यं।।

लाया घृत दीवा माला ।
आया पाने उजियाला ।।
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी
ज्यों ही आते हैं,
जिन्दगी में, गुरु जी लाते हैं
ढ़ेर खुशी,
इक रोशनी
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी ।।दीपं।।

लाया घट गंध अनूठे ।
आया भव-बन्धन छूटे ।।
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी
ज्यों ही आते हैं,
जिन्दगी में, गुरु जी लाते हैं
ढ़ेर खुशी,
इक रोशनी
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी ।।धूपं।।

लाया फल ऋत-ऋत सारे ।
आया लगने शिव द्वारे ।।
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी
ज्यों ही आते हैं,
जिन्दगी में, गुरु जी लाते हैं
ढ़ेर खुशी,
इक रोशनी
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी ।।फलं।।

लाया गुल तण्डुल आदी ।
आया हित अन्त समाधी ।।
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी
ज्यों ही आते हैं,
जिन्दगी में, गुरु जी लाते हैं
ढ़ेर खुशी,
इक रोशनी
तपती दुपहरी दुनिया,
गुरु कृपा तरु छाँव घनी ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
कर दो कृपा,
ज्ञानामृत छलका,
दो प्यास बुझा

जयमाला
धन्य न‌सीराबाद ।
दो सूर मुलाकात ।।

दोनों तेजस्वी ।
दोनों ओजस्वी ।।
दोनों अपने भाँत ।
दो सूर मुलाकात ।।
धन्य नसीराबाद ।
दो सूर मुलाकात ।।

जाऊँ बलिहारी ।
दोनों तिमिरारी ।।
पुञ्ज प्रकाश ललाट ।
दोनों अपने भाँत ।।
दो सूर मुलाकात ।
धन्य नसीराबाद ।
दो सूर मुलाकात ।।

मद उलूक भागे ।
बुध पंकज जागे ।।
करुणा धर्म निनाद ।
दोनों अपने भाँत ।।
दो सूर मुलाकात ।
धन्य नसीराबाद ।
दो सूर मुलाकात ।।

दोनों तेजस्वी ।
दोनों ओजस्वी ।।
दोनों अपने भाँत ।
दो सूर मुलाकात ।।
धन्य नसीराबाद ।
दो सूर मुलाकात ।।
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
जाने कलम न,
विष उगलना
जानो तुम न

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