- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 762
मुझे इससे बड़ा
होगा क्या और नजराना
नजरें उठाना
देखते ही मुझे
तेरा मुस्कुरा जाना
मुझे इससे बड़ा,
होगा क्या और नजराना ।। स्थापना।।
नयन मेरे, क्यूँ न भर आयेंगे,
भर भर घड़े, हम जल भी चढ़ायेंगे
मुझे इससे बड़ा
होगा क्या और नजराना
नजरें उठाना
देखते ही मुझे
तेरा मुस्कुरा जाना
मुझे इससे बड़ा,
होगा क्या और नजराना ।। जलं।।
नयन मेरे, क्यूँ न भर आयेंगे,
हम घिस मलय चन्दन भी चढ़ायेंगे
मुझे इससे बड़ा
होगा क्या और नजराना
नजरें उठाना
देखते ही मुझे
तेरा मुस्कुरा जाना
मुझे इससे बड़ा,
होगा क्या और नजराना ।। चन्दनं।।
नयन मेरे, क्यूँ न भर आयेंगे,
हम धाँ-शालि अक्षत भी चढ़ायेंगे
मुझे इससे बड़ा
होगा क्या और नजराना
नजरें उठाना
देखते ही मुझे
तेरा मुस्कुरा जाना
मुझे इससे बड़ा,
होगा क्या और नजराना ।। अक्षतं।।
नयन मेरे, क्यूँ न भर आयेंगे,
हम वन-नन्द फुल्बा भी चढ़ायेंगे
मुझे इससे बड़ा
होगा क्या और नजराना
नजरें उठाना
देखते ही मुझे
तेरा मुस्कुरा जाना
मुझे इससे बड़ा,
होगा क्या और नजराना ।। पुष्पं।।
नयन मेरे, क्यूँ न भर आयेंगे,
हम गो-घिरत नेवज भी चढ़ायेंगे
मुझे इससे बड़ा
होगा क्या और नजराना
नजरें उठाना
देखते ही मुझे
तेरा मुस्कुरा जाना
मुझे इससे बड़ा,
होगा क्या और नजराना ।। नैवेद्यं।।
नयन मेरे, क्यूँ न भर आयेंगे,
हम घृत अबुझ दीपक भी चढ़ायेंगे
मुझे इससे बड़ा
होगा क्या और नजराना
नजरें उठाना
देखते ही मुझे
तेरा मुस्कुरा जाना
मुझे इससे बड़ा,
होगा क्या और नजराना ।। दीपं।।
नयन मेरे, क्यूँ न भर आयेंगे,
हम महकती सुगंध भी चढ़ायेंगे
मुझे इससे बड़ा
होगा क्या और नजराना
नजरें उठाना
देखते ही मुझे
तेरा मुस्कुरा जाना
मुझे इससे बड़ा,
होगा क्या और नजराना ।। धूपं।।
नयन मेरे, क्यूँ न भर आयेंगे,
हम नारियल, भेले की चढ़ायेंगे
मुझे इससे बड़ा
होगा क्या और नजराना
नजरें उठाना
देखते ही मुझे
तेरा मुस्कुरा जाना
मुझे इससे बड़ा,
होगा क्या और नजराना ।। फलं।।
नयन मेरे, क्यूँ न भर आयेंगे,
हम नव्य दिव्य द्रव्य भी चढ़ायेंगे
मुझे इससे बड़ा
होगा क्या और नजराना
नजरें उठाना
देखते ही मुझे
तेरा मुस्कुरा जाना
मुझे इससे बड़ा,
होगा क्या और नजराना ।। अर्घ्यं।।
=हाईकू=
उधेड़-बुन,
थमा देते गुरु जी,
ढ़ेर शगुन
।।जयमाला।।
माटी न जाये बन, यूँ ही घड़ा
करना पड़ता है ‘जि परिश्रम बड़ा
जो है तुमने किया,
सबके रखवाले
ए ! होने वाले, वधु-मुक्ति साथिया
कंकर माटी से यूँ ही होते कब जुदा
करना पड़ता है ‘जि परिश्रम बड़ा
माटी न जाये बन, यूँ ही घड़ा
करना पड़ता है ‘जि परिश्रम बड़ा
जो है तुमने किया,
पूनम उजियारे
सबके रखवाले
ए ! होने वाले, वधु-मुक्ति साथिया
चक्कर खिलाने न बस, चक्के पे चढ़ा
करना पड़ता है ‘जि परिश्रम बड़ा
माटी न जाये बन, यूँ ही घड़ा
करना पड़ता है ‘जि परिश्रम बड़ा
जो है तुमने किया,
स्वर्ग मोक्ष द्वारे
पूनम उजियारे
सबके रखवाले,
ए ! होने वाले, वधु-मुक्ति साथिया
खेल बच्चों का कब, अग्नि की परीक्षा
करना पड़ता है ‘जि परिश्रम बड़ा
माटी न जाये बन, यूँ ही घड़ा
करना पड़ता है ‘जि परिश्रम बड़ा
जो है तुमने किया,
सिन्धु भव किनारे
पूनम उजियारे
स्वर्ग मोक्ष द्वारे
सबके रखवाले,
ए ! होने वाले, वधु-मुक्ति साथिया
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
ले चालो उस गाँव,
जहाँ न हो ‘जी-दो’ टकराव
Sharing is caring!