परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रमांक 71
नमो नमः … नमो नमः
श्री गुरु विद्या, नमोः नमः
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण,
श्री गुरु विद्या, नमो नमः ।।स्थापना।।
करके अर्पण ।
जल घट कंचन ।।
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण,
श्री गुरु विद्या, नमो नमः
नमो नमः … नमो नमः
श्री गुरु विद्या, नमोः नमः ।।जलं।।
करके अर्पण ।
मलयज चन्दन ।।
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण,
श्री गुरु विद्या, नमो नमः
नमो नमः … नमो नमः
श्री गुरु विद्या, नमोः नमः ।।चन्दनं।।
करके अर्पण ।
धाँ शाली कण ।।
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण,
श्री गुरु विद्या, नमो नमः
नमो नमः … नमो नमः
श्री गुरु विद्या, नमोः नमः ।।अक्षतं।।
करके अर्पण ।
गुल नन्दन वन ।।
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण,
श्री गुरु विद्या, नमो नमः
नमो नमः … नमो नमः
श्री गुरु विद्या, नमोः नमः ।।पुष्पं।।
करके अर्पण ।
मनहर व्यञ्जन ।।
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण,
श्री गुरु विद्या, नमो नमः
नमो नमः … नमो नमः
श्री गुरु विद्या, नमोः नमः ।।नेवैद्यं।।
करके अर्पण ।
दीवा रतनन ।।
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण,
श्री गुरु विद्या, नमो नमः
नमो नमः … नमो नमः
श्री गुरु विद्या, नमोः नमः ।।दीप॑।।
करके अर्पण ।
चूरी चन्दन ।।
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण,
श्री गुरु विद्या, नमो नमः
नमो नमः … नमो नमः
श्री गुरु विद्या, नमोः नमः ।।धूपं।।
करके अर्पण ।
फल वन-नन्दन ।।
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण,
श्री गुरु विद्या, नमो नमः
नमो नमः … नमो नमः
श्री गुरु विद्या, नमोः नमः ।।फल॑।।
करके अर्पण ।
दिव द्रव अनगण ।।
मन्त्र जपो मन,
सन्त शिरोमण,
श्री गुरु विद्या, नमो नमः
नमो नमः … नमो नमः
श्री गुरु विद्या, नमोः नमः ।।अर्घं।।
“दोहा”
जिनकी करुणा का नहीं,
दीखे दिश्-दश पार ।
गुरु विद्या सविनय तिन्हें,
वन्दन बारम्बार ॥
=जयमाला=
पूर्णिमा-शरद अभिराम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
धन ! कूख मात श्री-मन्त ।
सुत मल्लप्पा धी-मन्त ।।
भावी शिव राधा कन्त ।
वन्दन शत कोट अनन्त ।।
हित सौख्य ‘निराकुल’ धाम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।
पूर्णिमा-शरद अभिराम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
धन पुण्य भूम अजमेर ।
सम्मुख गुरु चरित सुमेर ।।
वस अरि प्रति आंख तरेर ।
निर्ग्रन्थ सन्त बिन देर ।
हित मृग-मरिचिका विराम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।
पूर्णिमा-शरद अभिराम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।
अब रोजगार न अकाल ।
खुलती नव रोज गुशाल ।।
माँ भारत दया दुशाल ।
प्रतिभा रत बाल-गुपाल ।।
परहित आतुर निष्काम ।
धरती के देवता प्रणाम ।।
पूर्णिमा-शरद अभिराम ।
अवतार सदलगा ग्राम ।।
धरती के देवता प्रणाम ।।जयमाला पूर्णार्घं।।
“दोहा”
शिशु बिन शशि के ग्रहण का,
करता कौन प्रयास ।
हूँ अनन्य शिशु आपका,
रख लीजो निज पास ॥
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