- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 525
=हाईकू=
तेरी मुस्कान,
माटी के पुतले में भी फूँके जान ।।स्थापना।।
घड़े जल ये रखे पाँव-पास,
ले आशीष आश ।।जलं।।
घट चन्दन ये रखे पाँव पास,
ले छांव आश ।।चन्दनं।।
थाल अक्षत ये रखे पाँव पास,
ले कृपा आश ।।अक्षतं।।
पुष्प पुञ्ज ये रखे पाँव पास,
ले शरण आश ।।पुष्पं।।
व्यंजन खास ये रखे पाँव पास,
ले दृष्टि आश ।।नैवेद्यं।।
रत्न दीप ये रखे पाँव पास,
ले संबोधि आश ।।दीपं।।
धूप घट ये रखे पाँव पास,
ले समाधि आश ।।धूपं।।
परात फल ये रखे पाँव पास,
ले मोक्ष आश ।।फलं।।
समस्त द्रव्य ये रखे पाँव पास,
ले दीक्षा आश ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
छू नर्मी,
सर्दी वर्षा गर्मी,
हैं सहें साधू
‘समाँ भू’
।।जयमाला।।
सिमट के दुनिया की खुशी सारी
आ जाये झोली में तुम्हारी
हो जायें तुम्हारे
जन्नत के नजारे
पा जाओ तुम, चाँद और सितारे
है दिली भावन ये हमारी
सिमट के दुनिया की खुशी सारी
आ जाये झोली में तुम्हारी
गहराती जायें
तेरे हाथों की लकीरें
लहराती जायें
और चीर आसमाँ की छाती जायें
सिमट के दुनिया की खुशी सारी
आ जाये झोली में तुम्हारी
हो जायें तुम्हारे
जन्नत के नजारे
पा जाओ तुम, चाँद और सितारे
है दिली भावन ये हमारी
सिमट के दुनिया की खुशी सारी
आ जाये झोली में तुम्हारी
घटा काली काली
हट जाये साँझ वाली लाली
भगवन् करे, तुम मनाओ
सुबह होली, शाम दीवाली
सिमट के दुनिया की खुशी सारी
आ जाये झोली में तुम्हारी
हो जायें तुम्हारे
जन्नत के नजारे
पा जाओ तुम, चाँद और सितारे
है दिली भावन ये हमारी
सिमट के दुनिया की खुशी सारी
आ जाये झोली में तुम्हारी
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
शिव-तलक,
बना रहूॅं मैं तेरा, यूँ ही सेवक
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