- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 502
हाईकू
है कोई,
जहां दोई,
बेनजीर,
तो गुरु तस्वीर ।।स्थापना।।
लो बना, खुद-सा जल ये अपना,
कृपा करना ।।जलं।।
लो बना, खुद-सा गंध ये अपना,
वर्षा करुणा ।।चन्दनं।।
लो बना, खुद-सा धान ये अपना,
तुम्हीं शरणा ।।अक्षतं।।
लो बना, खुद-सा पुष्प ये अपना,
सूर्य किरणा ।।पुष्पं।।
लो बना, खुद-सा चरु ये अपना,
दया झिरना ।।नैवेद्यं।।
लो बना, खुद-सा दीप ये अपना,
औ’ जनम ना ।।दीपं।।
लो बना, खुद-सा धूप ये अपना,
‘भी’ आभरणा ।।धूपं।।
लो बना, खुद-सा फल ये अपना,
काठ तरणा ।।फलं।।
लो बना, खुद-सा अर्घ ये अपना,
पार गणना ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
टक सितारे दें चादर-चरित्र,
श्री गुरु मित्र
जयमाला
गुरु जी का घर अपने दर्शन
कोकिला धुन है
अनोखा शगुन है
गुरु जी का हर सपने दर्शन
गुरु जी का घर अपने दर्शन
सातिशय पुन है
कोकिला धुन है
अनोखा शगुन है
सुन-सुन, सुन-सुन, सुन-सुन
अय ! मन
चुन-चुन, चुन-चुन चुन-चुन
अश्रु खुशी झिर लग बर्सण
गुरु जी के चरणों का पर्शन
सुन-सुन, सुन-सुन, सुन-सुन
अय ! मन
सातिशय पुन है
चुन-चुन, चुन-चुन चुन-चुन
जल अश्रु गुरु चरण अर्पण
गुरुजी के चरणों में समर्पण
सुन-सुन, सुन-सुन, सुन-सुन
अय ! मन
सातिशय पुन है
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
हाईकू
कलि कम न समशरण,
गुरु जी के चरण
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