- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 498
=हाईकू=
मेरी कुटिया अपना,
दीजे उसे सुखिया बना ।।स्थापना।।
भक्ति का रंग चढ़े,
आश ले, लाये दृग्-बिन्दु बड़े ।।जलं।।
भक्ति का रंग चढ़ाने आये,
घट-चन्दन लाये ।। चन्दनं।।
भक्ति के रंग में रँगने आये,
धाँ साबुत लाये।।अक्षतं।।
भक्ति का रंग चढ़ा पाने,
लाये द्यु-पुष्प सुहाने ।।पुष्पं।।
‘के रंग-भक्ति चढ़ सके,
ले आश चरु रखे ।। नैवेद्यं।।
रँगा लो भक्ति के रंग,
आया दिव्य संज्योत संग ।।दीपं।।
भक्ति के रंग में रंग पाने आये,
सुगंध लाये ।।धूपं।।
रॅंगने रंग-भक्ति पलक पल,
भेंटूँ श्री फल ।।फलं।।
पीछे लगा लो
‘मुझे अपने’ रंग-भक्ति रँगा लो ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
रहते हल्के,
गुरु जी न पड़ते फेर-छल के
।।जयमाला।।
करता हूँ मैं,
रोजाना याद तुम्हें
दे बता हमें
तुझ तलक क्या
आती है सदा
अय ! मेरे खुदा
करता हूँ मैं
रोजाना याद तुम्हें
दिल से
भर कर ये नयनों के कलशे
अश्रु जल से
करता हूँ मैं
पल-पल
अविरल, याद तुम्हें
दिल से
करता हूँ मैं,
रोजाना याद तुम्हें
दे बता हमें
तुझ तलक क्या
आती है सदा
अय ! मेरे खुदा
करता हूँ मैं
छिन-छिन
निशि-दिन
याद तुम्हें
दिल से
भर कर ये नयनों के कलशे
अश्रु जल से
करता हूँ मैं
पल-पल
अविरल, याद तुम्हें
दिल से
करता हूँ मैं,
रोजाना याद तुम्हें
दे बता हमें
तुझ तलक क्या
आती है सदा
अय ! मेरे खुदा
करता हूँ मैं
रोजाना याद तुम्हें
दिल से
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
गुरु भगवान्
छू कर दें थकान,
दे के मुस्कान
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