- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 497
“हाईक”
हो,
देखते ही, ‘जहां-दो’
फिदा,
गुरु जी और खुदा ।।स्थापना।।
जल चढ़ाया,
‘कि जन्म जरा मृत्यु का हो सफाया ।।जलं।।
चन्दन लाया,
‘कि संसार ताप ले समेट माया ।।चन्दनं।।
अक्षत लाया,
पद-अक्षत काम हो हाथ बाँया ।।अक्षतं।।
पुष्पों को लाया,
‘कि पग उल्टे लौटे, मदन आया ।।पुष्पं।।
चरु भिंटाया,
‘कि उखाडूँ पैर ‘क्षुध्’ जमा जमाया ।।नैवेद्यं।।
दिया चढ़ाया,
‘कि हो चित् चारो खाने कर्मों का राया ।।दीपं।।
सुगन्ध लाया,
उतरे बंध, चिर सिर बिठाया ।।धूपं।।
श्रीफल लाया,
‘कि मोक्ष महा फल अबकी भाया ।।फलं।।
अर्घ्य सजाया,
पद अनर्घ पाऊँ, पा ज्ञान काया ।।अर्घ्यं।।
“हाईकू”
आ रोगों का, हो-तो-हो क्यों बसना,
लें गुरु रस…’ना’
।। जयमाला।।
लागी ‘रे ! लागी ‘रे, लागी ‘रे !
लगन तुम से
तेरे बिना जाये न रहा हमसे
विरह तेरा जाये न सहा हमसे
तेरे बिना जाये न रहा हमसे
लागी ‘रे ! लागी ‘रे, लागी ‘रे !
लगन तुम से
भरे अश्रु जल से
अनकहे
है कह रहे
ये नयन नम से
तेरे बिना जाये न रहा हमसे
लागी ‘रे ! लागी ‘रे, लागी ‘रे !
लगन तुम से
तेरे बिना जाये न रहा हमसे
विरह तेरा जाये न सहा हमसे
तेरे बिना जाये न रहा हमसे
लागी ‘रे ! लागी ‘रे, लागी ‘रे !
लगन तुम से
क्या बन पड़ा है, गुनाह हमसे
जो मिला नहीं रहे हो, निगाह हमसे
क्या बन पड़ा है, गुनाह हमसे
भरे अश्रु जल से
अनकहे
है कह रहे
ये नयन नम से
तेरे बिना जाये न रहा हमसे
लागी ‘रे ! लागी ‘रे, लागी ‘रे !
लगन तुम से
तेरे बिना जाये न रहा हमसे
विरह तेरा जाये न सहा हमसे
तेरे बिना जाये न रहा हमसे
लागी ‘रे ! लागी ‘रे, लागी ‘रे !
लगन तुम से
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
“हाईकू”
बच्चें तो भूल जाते,
‘वादे निभाना’ माँओं को आते
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