- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 477
हाईकू
होते मिलन-सार,
‘गुरुजी’ और माँ अवतार ।।स्थापना।।
भेंटूँ जल ये,
आपके अपनों में आने के लिये ।।जलं।।
भेंटूँ चन्दन ये,
आपके भक्तों में आने के लिये ।।चन्दनं।।
भेंटूँ अक्षत ये,
आप जैसा वक्त लाने के लिये ।।अक्षतं।।
भेंटूँ पुष्प ये,
ब्रह्मचर आप सा पाने के लिये ।।पुष्पं।।
भेंटूँ नैवेद्य ये,
आपके गीतों में आने के लिये ।।नैवेद्यं।।
भेंटूँ दीप ये,
भगवन् तुम्हें मना पाने के लिये ।।दीपं।।
भेंटूँ धूप ये,
आप सा दुनिया में छाने के लिये ।।धूपं।।
भेंटूँ फल ये,
आपके सपनों में आने के लिये ।।फलं।।
भेंटूँ अर्घ ये,
आपकी पद-रज पाने के लिये ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
मेहरबानी तेरी,
पत्थर-तरी जो पानी तरी
जयमाला
धड़कन में कोई रहता है तो इक नाम तेरा
मेरे मन में कोई रहता है तो इक नाम तेरा।
दे-बता तू है क्या मेरा
मुझे तो लगता है,
है ख़ून का नाता तुझसे
तू हँसता है
दे-बता क्या छुपाता मुझसे
नयनन में कोई रहता है तो एक नाम तिरा
मेरे मन में कोई रहता है तो इक नाम तेरा
देवता तू है क्या मेरा
पीछे रह गया था तुझसे
मैं कभी बिछड़ गया था तुझसे
मुझे तो लगता है,
है ख़ून का नाता तुझसे
तू हँसता है
दे-बता क्या छुपाता मुझसे
सुपनन में कोई रहता है तो इक नाम तेरा
मिरे मन में कोई रहता है तो इक नाम तेरा
देवता तू है क्या मेरा
आगे निकल गया था तुझसे
मैं कभी बिछड़ गया था तुझसे
मुझे तो लगता है,
है ख़ून का नाता तुझसे
तू हँसता है
दे-बता क्या छुपाता मुझसे
धड़कन में कोई रहता है तो इक नाम तेरा
मेरे मन में कोई रहता है तो इक नाम तेरा।
दे-बता तू है क्या मेरा
मुझे तो लगता है,
है ख़ून का नाता तुझसे
तू हँसता है
दे-बता क्या छुपाता मुझसे
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
हाईकू
जानें जहान,
‘गुरु जी’ टूटा-फूटा न रक्खें ज्ञान
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