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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 410

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
    पूजन क्रंमाक 410

    *हाईकू*
    गुरुजी जिन्हें, ले स्वीकार,
    समझो वे हुये पार ।।स्थापना।।

    पा पंक्ति आप करीबी जाऊँ,
    जल झारी चढ़ाऊँ ।।जलं।।

    पा पंक्ति आप भक्त जाऊँ,
    चन्दन झारी चढ़ाऊँ ।।चन्दनं।।

    पा पंक्ति आप कृपा-पात्र जाऊँ
    धाँ, शाली चढ़ाऊँ ।।अक्षतं।।

    पा पंक्ति आप सनेही जाऊँ,
    पुष्प चाँदी चढ़ाऊँ ।।पुण्यं।।

    पा पंक्ति आप व्रती जाऊँ,
    नैवेद्य भारी चढ़ाऊँ ।।नैवेद्यं।।

    पा पंक्ति आप सेवक जाऊँ,
    दीप आली चढ़ाऊँ ।।दीपं।।

    पा पंक्ति आप नौ-रत्न जाऊँ,
    धूप न्यारी चढ़ाऊँ ।।धूप।।

    पा पंक्ति आप शिष्य जाऊँ,
    श्रीफल थाली चढ़ाऊँ ।।फलं।।

    पा पंक्ति आप पुजारी जाऊँ,
    द्रव्य सारी चढ़ाऊँ ।।अर्घ्यं।।

    *हाईकू*
    गुरु जी पढ़े जा सकते पूरण,
    पड़ पाँवन

    ।। जयमाला।।

    है ईश्वर, ये होता है अहसास
    आ आपके पास
    कर मुलाकात
    आपसे करके दो बात
    ‘जि गुरुवर,
    है ईश्वर, ये होता है अहसास
    दास बन आपका खास
    आ आपके पास,

    आ चरण शरणा
    आपकी पा करुणा
    ‘जि गुरुवर,
    है ईश्वर, ये होता है अहसास
    आ आपके पास
    बन के आपका पात्र विश्वास
    आ आपके पास
    है ईश्वर, ये होता है अहसास

    हल्की सी मुस्कान पा
    आपकी पा नजर इक दफा
    ‘जि गुरुवर,
    है ईश्वर, ये होता है अहसास
    आ आपके पास
    नाम रट आपका श्वास-श्वास
    है ईश्वर, ये होता है अहसास

    ।।जयमाला पूर्णार्घं।।

    *हाईकू*

    बैठा लो समो शरण-अपने,
    न और सपने

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