परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 402=हाईकू=
जुबां जो नाम ले सुबह-सुबह,
है तेरा वह ।।स्थापना।।कानी-फूसी ‘कि जाये खो,
भेंटूँ जल-झारी आपको ।।जलं।।टोका-टाकी ‘कि जाये खो,
भेंटूँ गन्ध न्यारी आपको ।।चन्दनं।।बेशर्मी-गर्मी ‘कि जाये खो,
भेंटूँ धाँ-शालि आपको ।।अक्षतं।।खींचा-तानी ‘कि जाये खो,
भेंटूँ फुल-बारी आपको ।।पुष्पं।।मारा-मारी ‘कि जाये खो,
भेंटूँ चरु थाली आपको ।।नैवेद्यं।।भागा-दौड़ी ‘कि जाये खो,
भेंटूँ दीप-आली आपको ।।दीपं।।जोड़ा-तोड़ी ‘कि जाये खो,
भेंटूँ धूप-प्यारी आपको ।।धूपं।।कमी-वेशी ‘कि जाये खो
भेंटूँ फल-डाली आपको ।।फलं।।आवा-जाही कि जाये खो,
भेंटूँ द्रव्य-सारी आपको ।।अर्घ्यं।।=हाईकू=
सिवाय गुरु-राया,
हृदय और कौन समायाजयमाला
आज आसमाँ
छू रही जिनकी साधना
है यही जिनकी प्रार्थना
खुश रहें दोनों जहाँ ।
ये जमीं वो आसमाँ ।।
रहे अपनी सबके पास माँ ।।
है यही इनकी प्रार्थना ।नहीं अपने दुख से दुखी ।
बेमतलब औरों के सुख में सुखी ।
दो जहाँ में इनसा कोई नहीं ।
वो आसमाँ ये जमीं
इनसा कोई नही रहनुमा ।।
आज आसमाँ
छू रही जिनकी साधना
है यही जिनकी प्रार्थना
खुश रहें दोनों जहाँ ।
ये जमीं वो आसमाँ ।।
रहे अपनी सबके पास माँ ।।
है यही इनकी प्रार्थना ।न लिया इन्होंने और लौटा दिया ।
और तो और इन्होंने अपना भी लुटा दिया ।।
दो जहाँ में इनसा कोई नहीं ।
वो आसमाँ ये जमीं
इनसा कोई नहीं गुम-गुमाँ ।
आज आसमाँ
छू रही जिनकी साधना
है यही जिनकी प्रार्थना
खुश रहें दोनों जहाँ ।
ये जमीं वो आसमाँ ।।
रहे अपनी सबके पास माँ ।।
है यही इनकी प्रार्थना ।
।। जयमाला पूर्णार्घं।।=हाईकू=
मंगल हमीं पे,
‘करना’
जब भी भक्त गणना
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