परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 381=हाईकू=
भींगा गुरु ‘जी’ दुआ से,
है मिलता जुलता मॉं से ।।स्थापना।।नैन सफल झूमे जिया,
तूने जो अपना लिया ।।जलं।।भाँति ‘चन्दन’ झूमे जिया,
तूने जो अपना लिया ।।चन्दनं।।यादें अछत, झूमे जिया,
तूने जो अपना लिया ।।अक्षतं।।साथ ‘सुमन’, झूमे जिया,
तूने जो अपना लिया ।।पुष्पं।।सुर-व्यंजन’, झूमे जिया,
तूने जो अपना लिया ।।नैवेद्यं।।क्या न दे दिया, झूमे जिया,
तूने जो अपना लिया ।।दीपं।।दिश्-दिश् सुगंध, झूमे जिया,
तूने जो अपना लिया ।।धूपं।।मेले, भेले कि झूमे जिया,
तूने जो अपना लिया ।।फलं।।बन अनर्घ्य, झूमे जिया,
तूने जो अपना लिया ।।अर्घ्यं।।=हाईकू=
हमसायों को,
चाहें गुरु उतना ही परायों कोजयमाला
गुरु जी के चरणों में,
सर झुकाते हैं
जो अपना घर बनाते हैं
गुरु जी के चरणों में,
जो नजर आते हैं, वो तर जाते हैं
ग्रन्थ हर बताते हैं, ‘के वो तर जाते हैंगुरु जी के चरणों में,
मन लगाते हैं,
कुछ क्षण बिताते हैं
गुरुजी के चरणों में,
जो नजर आते हैं, वो तर जाते हैं
ग्रन्थ हर बताते हैं, ‘के वो तर जाते हैंगुरु जी के चरणों में,
सुमन बिछाते हैं
पूजन रचाते हैं
गुरु जी के चरणों में,
जो नजर आते हैं, वो तर जाते हैं
ग्रन्थ हर बताते हैं, ‘के वो तर जाते हैंगुरु जी के चरणों में
आ व्यथा सुनाते हैं
अश्रु जल चढ़ाते हैं
गुरु जी के चरणों में,
जो नजर आते हैं, वो तर जाते हैं
ग्रन्थ हर बताते हैं, ‘के वो तर जाते हैं ।
।। जयमाला पूर्णार्घं।।=हाईकू=
ले ऊँचाई छू,
है दुआ मेरी,
छूये गहराई तू
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