परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 295
*हाईकू*
आ गुरु जी को मनाते
मुहँ मांगा देते, बताते ।।स्थापना।।
स्वीकारें ढोक फरसी,
पा न पाया, जल कलशी ।।जलं।।
स्वीकारें अश्रु नयन,
पा न पाया, रस चन्दन ।।चन्दनं।।
स्वीकारें विनत भाल,
पा न पाया, अक्षत थाल ।।अक्षतं।।
स्वीकारें बाल सा मन
पा न पाया, थाल सुमन ।।पुष्पं।।
स्वीकारें माँ सिखायें गान
पा न पाया, पकवान ।।नैवेद्यं।।
स्वीकारें जै-कार ताली,
पा न पाया, दीवाली ।।दीपं।।
स्वीकारें भक्ति अमन्द,
पा न पाया, घट सुगन्ध ।।धूपं।।
स्वीकारें जुड़े दो हाथ
पा न पाया, फल परात ।।फलं।।
स्वीकारें श्रद्धा हमारी,
पा न पाया, अर्घ पिटारी ।।अर्घ्यं।।
*हाइकू*
आओ…
आ गाओ, गौरव गाथा
‘गुरु’ भाग विधाता
।।जयमाला ।।
लागी ‘रे,
लागी ‘रे,
लागी ‘रे
गुरुदेव चरणों से, मेरी लगन लागी ‘रे ।
लागी ‘रे,
गुरुदेव चरणों से, मेरी लगन लागी ‘रे ।
अब क्या, अब तो सोई किस्मत जागी ‘रे ।
गुरुदेव चरणों से, मेरी लगन लागी ‘रे ।।
लागी ‘रे,
गुरुदेव चरणों से, मेरी लगन लागी ‘रे ।
अब क्या, अब तो पापी परिणति भागी ‘रे ।
गुरुदेव चरणों से, मेरी लगन लागी ‘रे ।।
लागी ‘रे,
गुरुदेव चरणों से, मेरी लगन लागी ‘रे ।
अब क्या, अब तो खोई गफलत कागी ‘रे
गुरुदेव चरणों से, मेरी लगन लागी ‘रे
लागी ‘रे,
गुरुदेव चरणों से, मेरी लगन लागी ‘रे ।
लागी ‘रे,
लागी ‘रे,
लागी ‘रे
गुरुदेव चरणों से, मेरी लगन लागी ‘रे ।
लागी ‘रे,
गुरुदेव चरणों से, मेरी लगन लागी ‘रे ।
।। जयमाला पूर्णार्घ्यं ।।
*हाईकू*
‘यही कामना
तव संस्तव रीते,
बीते शाम ना’
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