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आरती

आरती-कुन्थ नाथ

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

कुन्थ नाथ आरती

आओ मिलके आरती करें ।
बाबा कुन्थ पल में विघ्न हरें ।।

माँ श्री देवी गर्भ पधारे ।
सूर-सेन-नृप राज दुलारे ।।
सुदि वैशाख प्रतिपदा न्यारी ।
नगर हस्तिनापुर अवतारी ।।
श्रद्धा-सुमन चरणों में धरें ।
बाबा कुन्थ पल में विघ्न हरें ।।

सत्रहवें तीर्थंकर स्वामी ।
कामदेव तेरहवें नामी ।।
नवे चक्रवर्ती अभिलेखा ।
कूर्मोनत पाँवन गज रेखा ।।
हित गन्धोदक नयन घट भरें ।
बाबा कुन्थ पल में विघ्न हरें ।।

गिना रूप ना, रुपया पैसा ।
राज तजा जीरण तृण जैसा ।।
चीर-चीर जा उतरे गहरे ।
ध्वजा अनंत चतुष्टय लहरे ।।
आ चला के अंगुली पकड़ें ।
बाबा कुन्थ पल में विघ्न हरें ।।

दे सम-शरण विरच इतिहासा ।
अन्त धाम-शिव किया निवासा ।।
ऋज गत सिर्फ समय इक लागा ।
भाग मुक्ति-राधा का जागा ।।
‘सहज निराकुल’ भक्त बन जुड़ें ।
बाबा कुन्थ पल में विघ्न हरें ।।
आओ मिलके आरती करें ।
बाबा कुन्थ पल में विघ्न हरें ।।

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