‘वर्धमान मंत्र’
ॐ
णमो भयवदो
वड्ढ-माणस्स
रिसहस्स
जस्स चक्कम् जलन्तम् गच्छइ
आयासम् पायालम् लोयाणम् भूयाणम्
जूये वा, विवाये वा
रणंगणे वा, रायंगणे वा
थम्भणे वा, मोहणे वा
सव्व पाण, भूद, जीव, सत्ताणम्
अवराजिदो भवदु
मे रक्ख-रक्ख स्वाहा
ते रक्ख-रक्ख स्वाहा
ते मे रक्ख-रक्ख स्वाहा ।।
ॐ ह्रीं वर्तमान शासन नायक
श्री वर्धमान जिनेन्द्राय नमः
अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।
‘पूजन’
चार बीस तीर्थंकर जय
सदय हृदय !
निलय विनय !
जय जय जयतु जयतु जय जय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्र !
अत्र अवतर अवतर संवौषट्
(इति आह्वानन)
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्र !
अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:
(इति स्थापनम्)
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्र !
अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्
(इति सन्निधिकरणम्)
कलश कनक
गंग उदक
सुमरण हेत भेंट सविनय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
जन्म-जरा-मृत्यु विनाशनाय
जलं निर्वपामीति स्वाहा ।।
द्रव चन्दन
झार रतन
सुमरण हेत भेंट सविनय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
संसारताप विनाशनाय
चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा ।।
धाँ अक्षत
थाल रजत
सुमरण हेत भेंट सविनय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अक्षयपद प्राप्तये
अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा ।।
नन्द सुमन
पिटार मण
सुमरण हेत भेंट सविनय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
कामबाण-विध्वंसनाय
पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ।।
आप सदृश
चरु षट् रस
सुमरण हेत भेंट सविनय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
क्षुधारोग-विनाशनाय
नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
मोति खचित
ज्योति अछत
सुमरण हेत भेंट सविनय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
मोहांधकार विनाशनाय
दीपं निर्वपामीति स्वाहा ।।
घट कंचन
सुगन्ध अन
सुमरण हेत भेंट सविनय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अष्टकर्म-दहनाय
धूपं निर्वपामीति स्वाहा ।।
मिश्रि अमृत
फल ऋत ऋत
सुमरण हेत भेंट सविनय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
मोक्षफल-प्राप्तये
फलं निर्वपामीति स्वाहा ।।
विरली छव
शबरी द्रव
सुमरण हेत भेंट सविनय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अनर्घ्यपद-प्राप्तये
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
‘कल्याणक अर्घ’
झिर रतनन
दिखा सुपन
गर्भ तीर्थकर शिशु दिव चय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं गर्भ-कल्याणक-मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
मेर न्हवन
चिर दर्शन
अख सहस्र रच छक दृग् द्वय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं जन्म-कल्याणक-मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सिध साक्षिन्
दीक्षा जिन
संचित भव-भव पुण्य उदय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं दीक्षा-कल्याणक मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
समोशरण
सिंहो हिरण
परछाई मनु मूर्ति अभय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं ज्ञान-कल्याणक मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
कर्म दहन
मोक्ष गमन
‘सहज निराकुल’ सुख अक्षय
चार बीस तीर्थंकर जय
ॐ ह्रीं मोक्ष-कल्याणक मण्डिताय श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
…जयमाला…
‘दोहा’
कलयुग सुमरण के सिवा,
अर न वैतरण घाट ।
घड़ी आध की आध भी,
साध ! साध मन साध ।।
नुत अमरेश्वर ।
जग-परमेश्वर ।
नमो नमः जुग-आद जिनेश्वर ।।
विगलित द्वेषा ।
सजग हमेशा ।
नमो नमः जय अजित जिनेशा ।।
सुर-‘भी’ गाजा ।
दुन्दुभि बाजा ।
नमो नमः संभव जिन राजा ।।
सुरपति गाता ।
गौरव-गाथा ।
नमो नमः अभिनन्दन नाथा ।।
देवन देवा ।
विहर कुटेवा ।
नमो नमः जिन सुमत सदैवा ।।
सुर परिवारा ।
अतिशय न्यारा ।
नमो नमः पथ पद्म विहारा ।।
मन्तर स्वामी ।
अन्तर्-यामी ।
नमो नमः जिन सुपार्श्व नामी ।
अपहर पीरा ।
अर गंभीरा ।
नमो नमः प्रभ चन्द्र शरीरा ।।
प्रसंग नीके ।
संग विधी के ।
नमो नमः रद पुष्प सरीखे ।।
भींजे नयना ।
तीजे नयना ।
नमो नमः जिन शीतल वयना ।।
कण कण ज्ञाता ।
जन जन त्राता ।
नमो नमः पथ श्रेय प्रदाता ।।
शरण सहारे ।
तारण हारे ।
नमो नमः वसु-पूज दुलारे ।।
क्षमानुरागी ।
छल परित्यागी ।
नमो नमः जिन विमल विरागी ।।
दृगाभिरामा ।
कृत कृत नामा ।
नमो नमः जिन नन्त प्रणामा ।।
ऊरध रेता ।
अक्ष विजेता ।
नमो नमः सद्-धर्म प्रणेता ।।
इक ताकत सत् ।
इक राखत पत ।
नमो नमः जिन प्रशान्त परणत ।।
दिव-शिव नैय्या ।
एक खिवेय्या ।
नमो नमः जिन कुन्थ-रखैय्या ।।
जागर निशदिन ।
नागर शिखरिन् ।
नमो नमः जिन अरह गिरह-बिन ।।
सम्बल नादाँ ।
अपहर बाधा ।
नमो नमः जिन मल्ल प्रदाता ।।
जश लसानी ।
सम रस सानी ।
नमो नमः मुनि-सुव्रत वाणी ।।
रक्षक गोधन ।
संकट मोचन ।
नमो नमः जिन नम-तर लोचन ।।
देह हेम अर ।
अर क्षेमंकर ।
नमो नमः जिन नेम क्षेम धर ।।
भव तट लागे ।
इक बड़-भागे ।
नमो नमः रस पारस आगे ।।
दूषण ध्वंसा ।
पूरण मंशा ।
नमो नमः जिन सन्मत हंसा ।।
‘दोहा’
बना निराकुल लो मुझे,
बिलकुछ अपने भाँत ।
दृष्टि-नासिका पे टिका,
जाग सकूँ दिन रात ।।
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
जयमाला पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
‘विधान प्रारंभ’
समशरणा ।
नम नयना ।।
करुणा दया निधान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्र !
अत्र अवतर अवतर संवौषट्
(इति आह्वानन)
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्र !
अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ:
(इति स्थापनम्)
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्र !
अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्
(इति सन्निधिकरणम्)
अरिहन्ता ।
सिध नन्ता ।।
चरित ज्ञान श्रद्धान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१।।
ॐ ह्रीं अर्हं अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ ऌ ॡ
अक्षर असिआ उसा नमः
अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।
धुनि मंगल ।
मुनि मंगल ।।
मंगल सिध रिध ज्ञान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।२।।
ॐ ह्रीं अर्हं ए ऐ ओ औ अं अः
अक्षर चतुर्विध मंगलाय नमः
पूर्व-दिशि अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।
परमोत्तम ।
दया धरम ।।
सुध-बुध सिद्ध महान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।३।।
ॐ ह्रीं अर्हं क ख ग घ ङ
अक्षर चतुर्विध लोकोत्तमाय नमः
आग्नेय-दिशि अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।
इक शरणा ।
सिध चरणा ।।
यत, अरहत, सत् वाण जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।४।।
ॐ ह्रीं अर्हं च छ ज झ ञ
अक्षर चतुर्विध शरणाय नमः
दक्षिण-दिशि अर्घ निर्वापमिति स्वाहा ।।
दृग् नन्ता ।
सुख वन्ता ।।
ज्ञान ‘नन्त’ बलवान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।५।।
ॐ ह्रीं अर्हं ट ठ ड ढ ण
अक्षर ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय नमः
नैऋत्य-दिशि अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।
पुष्प, चँवर ।
पीठ, छतर ।।
नूर, तूर, तर, वाण जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।६।।
ॐ ह्रीं अर्हं त थ द ध न
अक्षर ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय नमः
पश्चिम-दिशि अर्घं निर्वपामिति स्वाहा ।।
स्वेद बहिर ।
श्वेत रुधिर ।।
संहनन अर ।
रूप ‘इतर’ ।।
बल वाणा ।
चिन नाना ।।
अमल दिव्य संस्थान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।७।।
ॐ ह्रीं अर्हं प फ ब भ म
अक्षर ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय नमः
वायव्य-दिशि अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सुभिक्ष क्षण ।
दय, अनशन ।।
शुभ छाया ।
‘मुख’ ‘माया’ ।।
गमन गगन ।
विगत विघन ।।
विद्येशा ।
अनिमेषा ।।
नख-कच यथा प्रमाण जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।८।।
ॐ ह्रीं अर्हं य र ल व
अक्षर ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय नमः
उत्तर-दिशि अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।
भू दर्प’ण ।
झूम पवन ।।
चक्र धरम ।
धरा कुटुम ।।
ऋत भाषा ।
‘नभ’ आशा ।।
जल गन्धा ।
सुर, पन्था ।।
पद्म विहार विधान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।९।।
ॐ ह्रीं अर्हं श ष स ह
अक्षर ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय नमः
ईशान-दिशि अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।
प्रथम वलय पूजन विधान की जय
‘अनन्त चतुष्टय’
अरि दृग् हन ।
अर दर्शन ।।
दृग् अनन्त गुणवान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१।।
ॐ ह्रीं अनन्त-दर्शन मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
‘मम’ घाता ।
सुख नाता ।।
अमृत नन्त सुखपान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।२।।
ॐ ह्रीं अनन्त सुख मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
वर ध्यानी ।
रख पानी ।।
सिध रिध केवल ज्ञान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।३।।
ॐ ह्रीं अनन्त-ज्ञान मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
‘गुल’ माना ।
बलवाना ।।
वीर्य अछत परिमाण जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।४।।
ॐ ह्रीं अनन्त वीर्य मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
दृग् नन्ता ।
सुख वन्ता ।।
ज्ञान ‘नन्त’ बलवान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।
समशरणा ।
नम नयना ।।
करुणा दया निधान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।
ॐ ह्रीं अनन्त-चतुष्टय मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
द्वितीय वलय पूजन विधान की जय
‘अष्ट-प्रातिहार्य’
जिन देवा ।
चुन सेवा ।।
बरसा पुष्प विमान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१।।
ॐ ह्रीं पुष्प-वृष्टि-मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
लिये चँवर ।
ठाड़े दर ।।
सुर बत्तीस प्रधान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।२।।
ॐ ह्रीं चामर मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
रत्न खचित ।
स्वर्ण रचित ।।
पीठ बढ़ाये मान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।३।।
ॐ ह्रीं सिंहासन मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
तीन अधर ।
चीन छतर ।।
अधिपत तीन जहान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।४।।
ॐ ह्रीं छत्र-त्रय मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
भा मण्डल ।
भाँ मण्डल ।।
सौम्य सोम छविमान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।५।।
ॐ ह्रीं भामण्डल-मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सुर बाजे ।
स्वर गाजे ।।
मनहर अपहर कान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।६।।
ॐ ह्रीं देवदुन्दुभि-मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
अर तर वर ।
तर जिनवर ।।
सहज विराजे आन जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।७।।
ॐ ह्रीं वृक्ष-अशोक मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
अनक्षरी ।
अमृत झड़ी ।।
वाण यान शिवथान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।८।।
ॐ ह्रीं दिव्य-ध्वनि-मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
पुष्प चँवर ।
पीठ छतर ।।
नूर, तूर, तर, वाण जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।
समशरणा ।
नम नयना ।।
करुणा दया निधान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।
ॐ ह्रीं अष्ट-प्रातिहार्य-मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
तृतीय वलय पूजन विधान की जय
‘जन्मातिशय’
कुटिया यम ।
बुँदिया श्रम ।।
भाग-दौड़ अवसान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१।।
ॐ ह्रीं हीन पसीन गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
अन्तर् नम ।
‘आँख’ शरम ।।
श्रोणित दुग्ध समान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।२।।
ॐ ह्रीं सित शोणित मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
संहनन अब ।
वज्र वृषभ ।।
नाराचिक जिनवाण जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।३।।
ॐ ह्रीं धन ! संहनन मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सत् शिव धन ।
सुन्दर तन ।।
हतप्रभ शशि-अभिमान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।४।।
ॐ ह्रीं सुन्दर, तन मन्दर मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
अन गौरव ।
तन सौरभ ।।
बड़ कस्तूर गुमान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।५।।
ॐ ह्रीं सौरभ गौरव मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
बल छिगरी ।
सार्थ गिरी ।।
अतुलनीय बलवान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।६।।
ॐ ह्रीं संबल मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
मिठ वयना ।
मित वयना ।।
सत् वयना सम्मान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।७।।
ॐ ह्रीं बोल अमोल मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
ध्वज, कलशा ।
चिन सहसा ।।
पुण्यवान पहचान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।८।।
ॐ ह्रीं ‘लाखन’ गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
दिवि भोजन ।
भवि ! भो ! जन ।।
हित निहार कब थान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।९।।
ॐ ह्रीं निर्मल गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
अबकी जश ।
सम चतु रस ।।
नाम स्वाम संस्थान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१०।।
ॐ ह्रीं छटा संस्थाँ मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
स्वेद बहिर ।
श्वेत रुधिर ।।
संहनन अर ।
रूप ‘इतर’ ।।
बल वाणा ।
चिन नाना ।।
अमल दिव्य संस्थान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।
समशरणा ।
नम नयना ।।
करुणा दया निधान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।
ॐ ह्रीं दश-जन्मातिशय मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
चतुर्थ वलय पूजन विधान की जय
‘केवल-ज्ञानातिशय’
इति ईती ।
जित भीती ।।
योजन शतक प्रमाण जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१।।
ॐ ह्रीं इक सुभिख गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सींह हिरण ।
समवशरण ।।
तज कुप् विराजमान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।२।।
ॐ ह्रीं ‘मा-हन्त’ गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
अमि धारा ।
आ…हारा ।।
कवल न नाम निशान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।३।।
ॐ ह्रीं अन अनशन गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
गुम छाया ।
हमसाया ।।
तेजोमय दिनमान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।४।।
ॐ ह्रीं छाया माया गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
जगत सुखी ।
चतुर्मुखी ।।
प्रतिभा सहज पिछान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।५।।
ॐ ह्रीं चतुर्मुख प्रतिभा गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
मंजुल गउ ।
अंगुल चउ ।।
अधर गमन ‘असमान’ जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।६।।
ॐ ह्रीं ‘गगन-चरन’ गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
गुम संकट ।
स्वयं निकट ।।
कहते वेद-पुराण जय,
आद-आद भगवान् जय ।।७।।
ॐ ह्रीं ‘हन विघन’ गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
रिध न्यारी ।
सिध सारी ।।
अतिशय केेवल ज्ञान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।८।।
ॐ ह्रीं ‘विद्यालय’ गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
ध्यान सफल ।
ज्ञान सकल ।।
झपकन पलक प्रयाण जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।९।।
ॐ ह्रीं झलक अपलक गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
कल मर’हम ।
खिल अवगम ।।
वृद्धि केश नख हान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१०।।
ॐ ह्रीं नग केश-नख गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सुभिक्ष क्षण ।
दय, अनशन ।।
शुभ छाया ।
‘मुख’ ‘माया’ ।।
गमन गगन ।
विगत विघन ।।
विद्येशा ।
अनिमेषा ।।
नख-कच यथा प्रमाण जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।
समशरणा ।
नम नयना ।।
करुणा दया निधान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।
ॐ ह्रीं दश केवल-ज्ञानातिशय मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
पंंचम वलय पूजन विधान की जय
‘देव-कृतातिशय’
अंधर छू ।
दर्पण भू ।।
कुछ कुछ स्वर्ग विमान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१।।
ॐ ह्रीं फर्श आदर्श गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
जश गाथा ।
दिव गाता ।।
मंगल द्रव्य गुमान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।२।।
ॐ ह्रीं वस मंगल गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
डूूब निरी ।
‘रे गहरी ।।
साध-साध संधान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।३।।
ॐ ह्रीं साध आह्लाद गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
मद भागा ।
मन लागा ।।
मन्द-मन्द पवमान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।४।।
ॐ ह्रीं ह-वा…वा-ह गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सलील जश ।
तील सहस ।।
धर्म चक्र गतिमान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।५।।
ॐ ह्रीं अग्र धर्मचक्र गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
शत्रु कहाँ ।
मित्र जहां ।।
सहज सुलभ कल’यान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।६।।
ॐ ह्रीं ‘मै-त्र’ ‘गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
फूल सकल ।
ऋत ऋत फल ।।
झूल चले बागान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।७।।
ॐ ह्रीं ऋत-ऋत गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
अध मागध ।
माँ भा’ रत ।।
कृति सुर मगध सुजान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।८।।
ॐ ह्रीं भाष अध-मागध गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
गुम नामा ।
घन श्यामा ।।
नभ शारद् प्रतिमान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।९।।
ॐ ह्रीं मगन गगन गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
डूब छुआ ।
दूर धुंआ ।।
दिश् शारद् अम्लान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१०।।
ॐ ह्रीं ‘दिशा’ गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
बुँदिया जल ।
निंदिया छल ।।
कहती गन्ध अजान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।११।।
ॐ ह्रीं मोहक गन्धोदक गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
जयकारा ।
क्षय कारा ।।
छेड़ें सुर-‘गण-मान’ जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१२।।
ॐ ह्रीं स्वर सुर गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
शूल विगत ।
धूल न पथ ।।
मा…रग सारथवान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१३।।
ॐ ह्रीं ‘मा-रग’ गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
विहरण पल ।
देव सजल ।।
स्वर्ण कमल निर्माण जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।१४।।
ॐ ह्रीं पद पद्म गुण मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
भू दर्प’ण ।
झूम पवन ।।
चक्र धरम ।
धरा कुटुम ।।
ऋत भाषा ।
‘नभ’ आशा ।।
जल गन्धा ।
सुर, पन्था ।।
पद्म विहार विधान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।
समशरणा ।
नम नयना ।।
करुणा दया निधान जय ।
आद-आद भगवान् जय ।।
ॐ ह्रीं चतुर्दश देव-कृतातिशय मण्डिताय
श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
…जयमाला…
‘दोहा’
मन तरंग गर मारना,
सुमरण साधन एक ।
पलक पालथी मार के,
आ लेते मन ! देख ।।
भाँति किरण ।
आदि शरण ।।
व्याधि हरण, भक्ति सजो ।
आदि भजो, आदि भजो,
आदि भजो, आदि भजो ।।
अजित नयन ।
अमृत वयन ।।
सहित भुवन, भक्ति सजो ।
अजित भजो, अजित भजो,
अजित भजो, अजित भजो ।।
विभव भुवन ।
वि-भव भवन ।।
समवशरण, भक्ति सजो ।
संभु भजो, संभु भजो,
संभु भजो, संभु भजो ।।
गन्ध सुमन ।
नन्द करण ।।
बन्ध हरण, भक्ति सजो ।
नन्द भजो, नन्द भजो,
नन्द भजो, नन्द भजो ।।
विपद शरण ।
सु’मन करण ।।
कुमत-हरण, भक्ति सजो ।
सुमत भजो, सुमत भजो,
सुमत भजो, सुमत भजो ।।
पद्म नयन ।
पद्म सुमन ।।
पद्म चरण, भक्ति सजो ।
पद्म भजो, पद्म भजो,
पद्म भजो, पद्म भजो ।।
पास सपन ।
पाश हरण ।।
पाश्व कमन, भक्ति सजो ।
पाश्व भजो, पाश्व भजो,
पाश्व भजो, पाश्व भजो ।।
चन्द्र वरन ।
चन्द्र लखन ।।
चन्द्र नखन, भक्ति सजो ।
चन्द्र भजो, चन्द्र भजो,
चन्द्र भजो, चन्द्र भजो ।।
सुनिध रतन ।
सविध मरण ।।
सुविध चरण, भक्ति सजो ।
सुविध भजो, सुविध भजो,
सुविध भजो, सुविध भजो ।।
सजल नयन ।
सकल नयन ।।
कमल नयन, भक्ति सजो ।
शितल भजो, शितल भजो,
शितल भजो, शितल भजो ।।
गेय भजन ।
श्रेय सदन ।
जेय मदन, भक्ति सजो ।
श्रेय भजो, श्रेय भजो,
श्रेय भजो, श्रेय भजो ।।
गूँज भुवन ।
पूज चरण ।।
दूज शरण, भक्ति सजो ।
पूज भजो, पूज भजो,
पूज भजो, पूज भजो ।।
धवल वरण ।
कमल चरण ।
अमल ssचरण, भक्ति सजो ।
विमल भजो, विमल भजो,
विमल भजो, विमल भजो ।।
नन्त रमण
सन्त श्रमण ।।
पन्त अहन, भक्ति सजो ।
नन्त भजो, नन्त भजो,
नन्त भजो, नन्त भजो ।।
मर्म ग्रहण ।
धर्म शरण ।।
कर्म हरण, भक्ति सजो ।
धर्म भजो, धर्म भजो,
धर्म भजो, धर्म भजो ।।
कान्ति भुवन ।
शान्ति करण ।।
भ्रान्ति हरण, भक्ति सजो ।
शान्ति भजो, शान्ति भजो,
शान्ति भजो, शान्ति भजो ।।
कुन्थ शरण ।
पन्थ चरण ।।
ग्रन्थ वचन, भक्ति सजो ।
कुन्थ भजो, कुन्थ भजो,
कुन्थ भजो, कुन्थ भजो ।।
गिरह न-मन ।
जिरह न-मन ।
अरह न-मन, भक्ति सजो ।
अरह भजो, अरह भजो,
अरह भजो, अरह भजो ।।
दल्ल करण ।
मल्ल भुवन ।।
शल्ल हरण, भक्ति सजो ।
मल्ल भजो, मल्ल भजो,
मल्ल भजो, मल्ल भजो ।।
दुरित हरण ।
सुहित करण ।।
सुव्रत श्रमण, भक्ति सजो ।
सुव्रत भजो, सुव्रत भजो,
सुव्रत भजो, सुव्रत भजो ।।
जनन हरण ।
मरन हरन ।
नमन चरण, भक्ति सजो ।
नमिन भजो, नमिन भजो,
नमिन भजो, नमिन भजो ।।
क्षेम सदन ।
नेम चरण ।
हेम सुमन, भक्ति सजो ।
नेम भजो, नेम भजो,
नेम भजो, नेम भजो ।।
श्वास अहन ।
पाश हरण ।।
दास धरण, भक्ति सजो ।
पार्श्व भजो, पार्श्व भजो,
पार्श्व भजो, पार्श्व भजो ।
नीर नयन ।
पीर हरण ।।
तीर चरण, भक्ति सजो ।।
वीर भजो, वीर भजो,
वीर भजो, वीर भजो ।
ॐ ह्रीं श्री ‘आद-आद’ जिनेन्द्राय
जयमाला पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
‘दोहा’
नहीं दूर चैनो-अमन,
जिन, श्रुत-सुत, श्रुति लेख ।
सब जीवों में एक सा,
चिन्मय आतम देख ।।
।।इत्याशीर्वाद: पुष्पांजलिं क्षिपेत्।।
‘सरसुति-मंत्र’
ॐ ह्रीं अर्हन्
मुख कमल-वासिनी
पापात्-म(क्) क्षयं-करी
श्रुत(ज्)-ज्-ञानज्-ज्वाला
सह(स्)-स्र(प्) प्रज्-ज्वलिते
सरस्वति-मत्
पापम् हन हन
दह दह
क्षां क्षीं क्षूं क्षौं क्षः
क्षीरवर-धवले
अमृत-संभवे
वं वं हूं फट् स्वाहा
मम सन्-निधि-करणे
मम सन्-निधि-करणे
मम सन्-निधि-करणे ।
ॐ ह्रीं जिन मुखोद्-भूत्यै
श्री सरस्वति-देव्यै
अर्घं निर्वपामीति स्वाहा ।।
*विसर्जन पाठ*
बन पड़ीं भूल से भूल ।
कृपया कर दो निर्मूल ।।
बिन कारण तारण हार ।
नहिं तोर दया का पार ।।१।।
अञ्जन को पार किया ।
चन्दन को तार दिया ।।
नहिं तोर दया का पार ।
नागों का हार किया ।।२।।
धूली-चन्दन-बावन ।
की शूली सिंहासन ।।
धरणेन्द्र देवी-पद्मा ।
मामूली अहि-नागिन ।।३।।
अग्नि ‘सर’ नीर किया ।
भगिनी ‘सर’ चीर किया ।।
नहिं तोर दया का पार ।
केशर महावीर किया ।।४।।
बन पड़ीं भूल से भूल ।
कृपया कर दो निर्मूल ।।
बिन कारण तारण हार ।
नहिं तोर दया का पार ।।५।।
( निम्न श्लोक पढ़कर विसर्जन करना चाहिये )
‘दोहा’
बस आता, अब धारता,
ईश आशिका शीश ।
बनी रहे यूँ ही कृपा,
सिर ‘सहजो’ निशि-दीस ।।
( यहाँ पर नौ बार णमोकार मंत्र जपना चाहिये)
‘आरती’
आद-आद प्रभु मूरतिया, निहारो ‘रे ।
आद आद प्रभु आरतिया, उतारो ‘रे
ले दीपों की थरिया
आद आद प्रभु आरतिया, उतारो ‘रे
वृषभ अजित संभव अभिनन्दन
शिव हित, जल अश्रु प्रभु चरण
पखारो ‘रे
उतारो ‘रे
आद आद प्रभु आरतिया, उतारो ‘रे
सुमत, पद्म सुपार्श्व, सुत-लक्षण
शिव हित, जल अश्रु प्रभु चरण
पखारो ‘रे
उतारो ‘रे
आद आद प्रभु आरतिया, उतारो ‘रे
सुविधिन्, शीतल, श्रेय, पूज्य गण
शिव हित, जल अश्रु प्रभु चरण
पखारो ‘रे
उतारो ‘रे
आद आद प्रभु आरतिया, उतारो ‘रे
विमल, नन्त, वृष, ऐरा-नन्दन
शिव हित, जल अश्रु प्रभु चरण
पखारो ‘रे
उतारो ‘रे
आद आद प्रभु आरतिया, उतारो ‘रे
कुन्थ, अरह, जिन मल्ल, सुव्रत धन
शिव हित, जल अश्रु प्रभु चरण
पखारो ‘रे
उतारो ‘रे
आद आद प्रभु आरतिया, उतारो ‘रे
नम, जिन नेम, पार्श्व, सन्मत जन
शिव हित, जल अश्रु प्रभु चरण
पखारो ‘रे
उतारो ‘रे
आद आद प्रभु आरतिया, उतारो ‘रे
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