(तर्ज – हे मेरे वतना के)जागो जैनी जागो, अब यह समय आया है ।हम अपनी पहचान बनाकर, जग को ये बतलायें ॥हम तो बहुत संख्या में हैं, -ऽ ये जग को हम बतलायें ।हम अपने नाम के आगे, हम जैन […]
(तर्ज – हे मेरे वतना के)जागो जैनी जागो, अब यह समय आया है ।हम अपनी पहचान बनाकर, जग को ये बतलायें ॥हम तो बहुत संख्या में हैं, -ऽ ये जग को हम बतलायें ।हम अपने नाम के आगे, हम जैन […]
श्री शांति सूरि मुनिधर्म – प्रकशकाय ,श्री वर्धमान – मुनिवर्य शुभंकराय ।मुन्यादिसागर प्रभावक – धर्मनेत्रे ,त्रैलोक्य – वंद्य गुरूवर्य नमोऽस्तु तुभ्यम् ॥१॥ श्री वीर शासन विभासन बध्दकक्षं ,शीतांशु – शुभ- यशसा – धवलिकृताशम् ।कल्याण – वल्लि – जलदं श्रुतसि न्धुवर्यम् […]
संस्कारो के शंखनाद का पुणे २०१५ में, लिखने का मन बना डाला ।शिरगुप्पी में १७ जुलै से २७ अगस्त , तक इसको मूर्त रूप दे डाला ॥गुरूओ से जो कुछ सुना पढ़ा, वो सब इसमें समाहित कर डाला ।संस्कारो के […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित आचार्य संघ विधान ।। प्रशस्ति ।। गुरु गागर ज्ञान उड़ेली ।मति हंस करे अठखेली ।।विद्या सागर जयकारा ।जन जैन अजैन सहारा ।।१।। हो सार समय पाहुड के ।गुरु कुन्द-कुन्द गुरुकुल के ।।संयमित […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित दश लक्षण धर्म विधान पूजन आओ ‘री आओ, सखि ! आओ ‘री आओ ।दश धर्मों की पूज रचाओ, आओ ‘री आओ ।।हृदय वेदिका शुद्ध बनाओ ।धर्म क्षमादिक दश पधराओ ।आह्वानन संस्थापन सन्-निधी,करके […]
पूजन आचार्य श्री समय सागर जीमुनि श्री निराकुल सागर जी द्वारा विरचित सूरि समय सागर भगवन् की,हम पूजन करने आये ।चरणों में दृग-जल लाये ।।दृढ़ निमित्त सम्यक् दर्शन की,सूरि समय सागर भगवन् की,हम पूजन करने आये ।चरणों में दृग-जल लाये […]
पूजन आचार्य श्री समय सागर जी मुनि श्री निराकुल सागर जी द्वारा विरचित लगे न डर काली रातों में ।दिया हाथ क्या गुरु हाथों में ।।गुरु देते आशीष न थकते ।भेद धनी, निर्धन ना रखते ।।चोट हमें लगती, गुरु चीखे […]
पूजन आचार्य श्री समय सागर जी मुनि श्री निराकुल सागर जी द्वारा विरचित आओ ‘रीसखि, आओ ‘री ।पूजन आन रचाओ ‘री ।।चेतन मूलाचार हैं ।सम दर्शन आधार हैं । जैनाचार्य समय सागर जी, समय सार के सार हैं ।।गुण अनन्त […]
पूजन आचार्य श्री समय सागर जी मुनि श्री निराकुल सागर जी द्वारा विरचित दैगम्बर साधु निराला ।बस पीछि कमण्डलु वाला ।।जो सबके आँसू पोंछे ।जो भला सभी का सोचे ।नभ में गूंजे जयकारा ।।बस पीछि कमण्डलु वाला ।दैगम्बर साधु निराला […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित रक्षाबंधन विधान *पूजन *जयतु सप्त-शत अकंपनादिक, विष्णु कुमार श्रमण ।बार बार करता आह्वानन ।सविनय मैं करता संस्थापन ।।आन पधारो, हदय हमारे ।मुझे उबारो, लाखों तारे, स्वीकार सन्निधि-करण ।जयतु सप्त-शत अकंपनादिक, विष्णु कुमार […]
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