परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 45 घना अँधेरा । इक आसरा तेरा ।। उठा दो नजर । ए मेरे गुरुवर ! गर्दिश में वक्त मेरा, इक आसरा तेरा ।। स्थापना।। लाया जल झारी । रहता […]
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परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 45 घना अँधेरा । इक आसरा तेरा ।। उठा दो नजर । ए मेरे गुरुवर ! गर्दिश में वक्त मेरा, इक आसरा तेरा ।। स्थापना।। लाया जल झारी । रहता […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 44 पिता मल्लप्पा के आँगन में खेले हैं । सारी दुनिया में जो एक अकेले हैं ।। उन्हें बुलाता हूँ । हृदय बिठाता हूँ ।। स्वारथ भरे जमाने में […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 43 दिश् पूरब सूरज जनती । कुछ-कुछ यूँ माँ श्रीमन्ती ।। धन ! बालक विद्याधर पा । हो चली अखर जश किरपा ।।स्थापना।। जिन्हें निरखते ही, आशा होती पूरी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 42 शीश रहे आशीष आपका, यही भावना है स्वामी । दास रहूँ निशि-दीस आपका, यही भावना है स्वामी ॥ दूर कभी ना जाना मुझसे, बन आदर्श निकट रहना । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 41 सबने ठुकराया । पास तिरे आया ।। ले उम्मींद बड़ी । दो बना बिगड़ी ।। विद्या मुनिराया।।स्थापना।। करता जल अर्पण । सपना सम-दर्शन ।। मिथ्यातम छाया । विद्या […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 40 सूरि गुरु कुन्द-कुन्द जैसा, निराकुल धवल चरित जिनका । फेरने के पहले मनके,भाव फेरा जिनने मन का ।।शिरोमणि सन्तों में जिनका, शीर्ष पे आज नाम आता । सिन्धु […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 39 तर्ज- “अगर तुम मिल जाओ, जमाना छोड़ देगें हम” अथक निरखा पर इन जैसा, दिखा ना जग रस सानी । मिले मद-मत्त विबुध लेकिन, मिला ना इन सा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 38 तर्ज- – “अगर तुम मिल जाओ, जमाना छोड़ देंगें हम “ मात श्री मति जी बड़भागी, जिन्होंने है इनको जाया । पिता मल्लप्पा जी धन-धन ! जिन्होंने पूनम […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 37 तर्ज- —– अगर तुम मिल जाओ, जमाना छोड़ देंगें हम । ज्ञान सागर, शाला के ये, अपर लालो गहर जानो । लखा क्या श्रृद्धा से इनको, लगी समकित […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 36 जिन्हें मूल-गुण ऐसे प्यारे, जैसे मछली को पानी । शिशु को माँ,चकोर को चन्दा, सूरज कमल,कीर्ति ज्ञानी ॥ गुरु विद्या सागर चरणों में, सादर शीश झुकाता हूँ । […]
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