==आरती== धन-धन ! भव मानव कर लीजे ।गुरु चरणों की आरति कीजे ।। तन वस्त्राभरण नगन चाले ।डर नरक पतन जोवन चाले ।।हाथों में घृत दीपक लीजे ।गुरु चरणों की आरति कीजे ।।१।। कचलोंच करत, न डरत परिषह ।रह भीतर […]
==आरती== धन-धन ! भव मानव कर लीजे ।गुरु चरणों की आरति कीजे ।। तन वस्त्राभरण नगन चाले ।डर नरक पतन जोवन चाले ।।हाथों में घृत दीपक लीजे ।गुरु चरणों की आरति कीजे ।।१।। कचलोंच करत, न डरत परिषह ।रह भीतर […]
==आरती== आरतिया कीजे ।थाल दिया लीजे ।।आरतिया पहली, सम्यक् दर्शन की ।शिव सीढ़ी पहली, सम्यक् दर्शन ही ।।हेत नेत्र भींजे । थाल दिया लीजे, आरतिया कीजे ।। आरतिया दूजी, सम्यक् अवगम की ।इक सांची पूंजी, सम्यक् अवगम ही ।।हेत नेत्र […]
==आरती== ।। आरती उतारो आओ । भोग नाग काले ।वन जोवन चाले ।घन गर्जन सुन के, आ तरु-तल ठाड़े ।।ज्योति घृत दीप जगाओ ।आरती उतारो आओ ।।१।। त्याग राग द्वेषा ।कर लुंचन केशा ।चतुपथ गुजर चली, शीत निश अशेषा ।।मोति […]
==आरती== ।। ले दिया, मैं उतारूॅं आरतिया ।।तुम मिले मुझे, सब कुछ मिल गया । दीप ने पाई ज्योती ।सीप ने पाया मोती ।नदारद बुद्धी खोटी ।नेह निस्पृह बपोती ।।श्वास पा गया, लौं जाता दिया ।।ले दिया, मैं उतारूॅं आरतिया […]
==आरती== आरती कीजे बारम्बार ।थाल दीपों की ले रतनार ।। छोड़ जीरण तृण-वत् घर बार ।हाथ घुंघर-लट श्याह उतार ।।चले वन जोवन वस्त्र उतार ।सुमन ले सांची श्रद्धा चार ।।थाल दीपों की ले रतनार ।आरती कीजे बारम्बार ।।१।। साधते संध्या […]
==आरती== आरतिया आरतियाविद्यागुरु की आरतिया, उतारें आओ ।विद्यागुरु की मूरतिया, निहारें आओ ।। चीर चीर ये निकले घर से ।पीर पराई लख दृग् बरसे ।।सूरज, चांद न तारे इनसे ।लख गुणियों को परणति हरसे ।।ज्योति जगाओ ।विद्यागुरु की आरतिया, उतारें […]
==आरती== दीपों की थाल सजाओ ।विद्यागुरु की आ-रति उतारें आओ ।।विद्यागुरु सतजुग निर्ग्रन्था ।विद्यागुरु कलजुग अरिहन्ता ।।भावी इक शिव राधा कन्ता ।विद्यागुरु चल आगम ग्रन्था ।।उर लौं गुरु नाम जगाओ ।दीपों की थाल सजाओ ।विद्यागुरु की आ-रति उतारें आओ ।।१।। […]
==आरती== आ-रति कीजे संध्या संध्या ।सुत श्रीमति मल्लप्पा नन्दा ।। शरद पूर्णिमा का दिन आया ।ग्राम सदलगा उत्सव छाया ।।लिये दीप घृत गाय सुगन्धा ।आ-रति कीजे संध्या संध्या ।।१।। सूर देश-भूषण ब्रमचारी ।साक्षि ज्ञान-गुरु दीक्षा थारी ।।छोड़ और सब गोरख […]
==आरती== कीजे आ-रति, सुबहो-शाम ।ज्योत जगा उर श्री गुरु नाम ।। पूरण मल्-लप्पा मनकाम ।श्रीमति हाथ सुकृत परिणाम ।।चांद शरद गोदी अभिराम ।ज्योत जगा उर श्री गुरु नाम ।कीजे आ-रति, सुबहो-शाम ।।१।। लुभा न पाये भोग तमाम ।पुष्प-बाण करने नाकाम,गुरु […]
==आरती== छवि भगवन्त बलिहारी ।गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।। आओ दीप लेके हाथ ।आ-रति करें मिलके साथ ।।करुणा दया अवतारी ।गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।१।। अपने पांव नापें गांव ।तरु से धूप खा, दें छांव ।।नदिया से परुपकारी ।गुरु निर्ग्रन्थ अविकारी ।।२।। […]
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