परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 19 मरणा-वीची क्षण । शरण जिन्हें सुमरण ।। सु-मरण हेतु शरण । वे गुरु-देव चरण ।। जयकारा गुरु-देव का… जय जय गुरु-देव ।।स्थापना ।। क्षमा करो गुरुदेव समय न, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 19 मरणा-वीची क्षण । शरण जिन्हें सुमरण ।। सु-मरण हेतु शरण । वे गुरु-देव चरण ।। जयकारा गुरु-देव का… जय जय गुरु-देव ।।स्थापना ।। क्षमा करो गुरुदेव समय न, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 18 जिनके आगे प्रखर प्रतापी, सहस्र-रश्मि फीका पड़ता । ज्यादा कहाँ कला बस सोला, चन्दा नव सीखा लगता ॥जो गम्भीर सिन्धु से, भू से-क्षमाशील, ऊँचे गिरि से ।सुत गुरु ज्ञान, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 17 यही एक भावन संध्याएं,तव चरणन बीतें मेरीं ।आत्म भाव बिन पल पल खिरतीं,घड़ियाँ ना रीतें मेरीं ।।मरण समय में, समता परिणत,ले यम घर न डाल डेरा ।माथ हमारे, उन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 16 तुम भीतर आओ । तुम ‘भी’ तर आओ ।। है जिनका कहना । वे तारण तरणा ।। श्री गुरु-वर चरणा ।। एक सहारे हैं । तभी पुकारे हैं […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 15 मंजिल जो तुम्हारी । मंजिल वो हमारी ।। लो लगा हमें पीछे । ले चलो हमें खीचे ।। दृग्-धारी अविकारी । ओ रत्नत्रय-धारी ।। मंजिल जो तुम्हारी । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 14 कहता भक्तों का ताँता है । पत रखना तुमको आता है ।। आँखों में तुम रखते पानी । सरगम मरहम तेरी वानी |। जीवन में मेरे अंधियारा । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 13 गुरुवर वर दो अन्त समय तक,भेद ज्ञान आराधूँ मैं |कहॉं सभी का सभी सध सका,भन्त ! अन्त इक साधूँ मैं ॥पर गलियों में भ्रमा अब तलक,गलि अपनी दृग् रख […]
पूजन क्रंमाक – 12 तुम हो तो मैं हूँ । मछली मैं,जल तू । गुल मैं,तुम खुशबू ।। जो तुम हो तो मैं हूँ । मैं भी नहीं वरना । लो मुझको अपना ।। ना और आरज़ू । जो तुम […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक -11 बाबा कुण्डलपुर वाले जिनको प्यारे । जो गुरु ज्ञान सिन्धु की आखों के तारे ।। हमें लगन लागी उद्धार वशी जिनसे । गुरु विद्या लेवे उबार वे भव वन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 10 साध मौन जब खोलो । विद्या सागर, विद्या सागर, विद्या सागर बोलो ।। दुखहारी विद्या सागर । सुखकारी विद्या सागर ।। अपहारी करनी भरनी । उपकारी, तट वैतरणी […]
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