परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 32 मैं बड़भागी । मेरी लगन लागी ।। गुरु चरण से, बचपन से । न ‘कि आजकल से, बल्कि बचपन से । मेरी लगन लगी, गुरु चरण से ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 32 मैं बड़भागी । मेरी लगन लागी ।। गुरु चरण से, बचपन से । न ‘कि आजकल से, बल्कि बचपन से । मेरी लगन लगी, गुरु चरण से ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 31 सदलगा से है नाता । दया बरसाना आता ।। पिता मल्लप्पा जिनके । भक्त हम अनन्य उनके ।। जयकारा गुरु देव का… जयजय गुरु देव ।। स्थापना।। देख […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 30 वन्दन-अभिनन्दन । माँ श्री-मन्ती नन्दन ।। तारक गुरु-ज्ञान नयन । सति-सन्त शिरोमण, वन्दन-अभिनन्दन ।। ।। स्थापना।। आँख नाक पर टिका आपने, इन्द्रिय गर्व मिटा ड़ाला । उसने किया […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 29 माँ श्री मन्त आँख का तारा । जय जय कारा जय जय कारा ।। नील गगन में एक सितारा । शरद् पूर्णिमा दिन अवतारा ।। स्थापना।। जानूँ भगवन् […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 28 मेरे मन के देवता । जरा इतना दे बता ॥ तेरा बनना है मुझे । कैसे रिझाऊँ तुझे।।स्थापना।। निर्मल नीर कहे जग शायद, आप हृदय से परिचित ना […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 27 चप्पे-चप्पे गूँजे ।विद्या-सागर दूजे ।।सन्त हैं,निर्ग्रन्थ हैं,भावी भगवन्त हैं,तभी जा रहे पूजे ।। स्थापना।। करतल-पगतल अहा गुलाबी,शत-दल कमल प्रसून से ।जनमे ही दिन शरद पूर्णिमा,बेशक चन्दा पून से ।।बिन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 26 महक रहा जीवन चन्दन जैसा । चमक रहा ‘री तन कंचन जैसा ।। क्या बताऊँ सखी । सारी दुनिया निरखी । मिला न कोई इन जैसा ।।स्थापना।। मिला […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 25 गुरुकुल बना संघ अपना । पूर दिया गुरु का सपना ।। संघ न इनका गुरुकुल बस । कमा चला हेै कुल-गुरु जश । श्री गुरुवर विद्या सागर । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 24 पूरण अरमाँ हैं । गुरु पूरण माँ हैं ।। और क्या यही तो बोले, राज मुख अपने खोले गुरु पूर्णिमा हैं।। स्थापना।। क्षमा मांगते ही जो, दे देते माफी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 23 सन्त शिरोमण एक तुम्हीं हो । संकट मोचन एक तुम्हीं हो ।। एक तुम्हीं वर्तमाँ गुपाला । सीले लोचन एक तुम्हीं हो ।। ज्ञान-सिन्धु सुत, श्री-मति-लाला । एक […]
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