परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 39 तर्ज- “अगर तुम मिल जाओ, जमाना छोड़ देगें हम” अथक निरखा पर इन जैसा, दिखा ना जग रस सानी । मिले मद-मत्त विबुध लेकिन, मिला ना इन सा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 39 तर्ज- “अगर तुम मिल जाओ, जमाना छोड़ देगें हम” अथक निरखा पर इन जैसा, दिखा ना जग रस सानी । मिले मद-मत्त विबुध लेकिन, मिला ना इन सा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 38 तर्ज- – “अगर तुम मिल जाओ, जमाना छोड़ देंगें हम “ मात श्री मति जी बड़भागी, जिन्होंने है इनको जाया । पिता मल्लप्पा जी धन-धन ! जिन्होंने पूनम […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 37 तर्ज- —– अगर तुम मिल जाओ, जमाना छोड़ देंगें हम । ज्ञान सागर, शाला के ये, अपर लालो गहर जानो । लखा क्या श्रृद्धा से इनको, लगी समकित […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 36 जिन्हें मूल-गुण ऐसे प्यारे, जैसे मछली को पानी । शिशु को माँ,चकोर को चन्दा, सूरज कमल,कीर्ति ज्ञानी ॥ गुरु विद्या सागर चरणों में, सादर शीश झुकाता हूँ । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 35 चिन्ह अनंग बना ध्वज थारे । बाल ब्रह्म चारी मुनि सारे ।। विद्या सिन्ध बना, अपना लो । ले अभिलाष खड़े तुम द्वारे ।।स्थापना।। देखा फूल, भ्रमर बनता […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 34 चाँद में दाग है ।भान में आग है ।।छोटे बाबा सा कोई नहीं ।चन्दन लिपटाये नाग है ।।स्थापना।। खुद वशीभूत मार्ग-शिव सुनकर,सहज उसे था अपनाना ।लग कतार हो चले […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 33 कलि भव जलधि जहाज । सन्तों के सरताज ।। सुनें भक्त आवाज । विद्यासागर महाराज ।। जयकारा गुरु देव का… जयजय गुरु देव ।।स्थापना।। आने श्रुत-सुत कतार में […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 32 मैं बड़भागी । मेरी लगन लागी ।। गुरु चरण से, बचपन से । न ‘कि आजकल से, बल्कि बचपन से । मेरी लगन लगी, गुरु चरण से ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 31 सदलगा से है नाता । दया बरसाना आता ।। पिता मल्लप्पा जिनके । भक्त हम अनन्य उनके ।। जयकारा गुरु देव का… जयजय गुरु देव ।। स्थापना।। देख […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 30 वन्दन-अभिनन्दन । माँ श्री-मन्ती नन्दन ।। तारक गुरु-ज्ञान नयन । सति-सन्त शिरोमण, वन्दन-अभिनन्दन ।। ।। स्थापना।। आँख नाक पर टिका आपने, इन्द्रिय गर्व मिटा ड़ाला । उसने किया […]
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