परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 60 होता जा रहा, जितना तेरा मैं । खोता जा रहा, उतना मेरा ‘मैं’ ।। जयतु जयतु गुरुदेव । रखना कृपा सदैव ।। जयतु जयतु गुरुदेव ।।स्थापना।। आया तेरे द्वार […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 60 होता जा रहा, जितना तेरा मैं । खोता जा रहा, उतना मेरा ‘मैं’ ।। जयतु जयतु गुरुदेव । रखना कृपा सदैव ।। जयतु जयतु गुरुदेव ।।स्थापना।। आया तेरे द्वार […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 59 जुग-जुग शरण । आप जुग-चरण ।। मिलती रहे हमें । कुछ न चाहूँ , और मैं ॥स्थापना॥ बडे़ कलशे । भरे जल से ।। करूँ अर्पण । अय ! […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 58 था मैं अजनबी भले ।। माँगने से ही पहले, दिया तुमने मुझे, ज्यादा ही कुछ फरिश्तों से ।। मतलबी रिश्तों से । दोनों आँखों से । दोनों हाथों से […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 57 संरक्षक गोधन । तर करुणा लोचन ।। सुत ज्ञान-गुरो धन । जयतु जय सन्त-शिरोमण।।स्थापना।। क्षीरी रत्नाकर । भेंटूँ जल गागर ।। हित समाध-बोधन । जयतु जय सन्त-शिरोमण ।।जलं।। सुरभित […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 56 है फरियाद से, न मतलब तुझे । याद करना पड़े, न जब-तब तुझे ।। नजरों के सामने, है पाया तुझे । ठोकर लगी जब-जब मुझे ॥स्थापना ॥ निज चैतन्य […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक – 55 ओ’ री सारी दुनिया छोड़ । जोड़ी मैनें गुरु से डोर ।। मेरा पुण्य उदय आया । मैनें साँचा गुरु पाया ।।स्थापना।। सागर-क्षीर नीर गागर । भेंटूँ सादर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक – 54 शुभ दिन शरद पूर्णिमा । जनमे वर्तमाँ वर्धमाँ ।। मनाये उत्सव सदलगा । आँगना श्री मन्त माँ ।। जनमे वर्तमाँ वर्धमाँ ।।स्थापना।। जल के कलशे लाये हम । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक – 53 नैन करुणा भरे । वैन मिसरी घुरे ।। कह रहे खुदबखुद । तुम क्षमा दया बुत ।। अय ! सिन्ध-ज्ञान सुत । जय-जय, जयत-जयत ।।स्थापना।। मणी-माणिक जड़े । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक – 52 दो बात कर, कर इक मुलाकात लो । पैरों में ढुला ये, अश्रु बरसात लो ।। कभी ये अजनबी, जी गुरु जी, गैरों से उठा, रख अपने साथ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 51 कुछ ना कुछ सीखे जिनसे, पल पल दुनिया सारी । सन्त बहुत पर जिनकी बात, जगत् सबसे न्यारी ॥ एक दाग भी दामन में, जिनके ना पाओगे । गुरु […]
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