परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 85 वन्दना वन्दना वन्दना । सुलोचन दृढ़ मना । शिरोमण मुन गणा ।। श्री-मन्त नन्दना । वन्दना वन्दना वन्दना ।।स्थापना।। नीर पातर बड़े । क्षीर सागर भरे ।। भेंट सानन्दना […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 85 वन्दना वन्दना वन्दना । सुलोचन दृढ़ मना । शिरोमण मुन गणा ।। श्री-मन्त नन्दना । वन्दना वन्दना वन्दना ।।स्थापना।। नीर पातर बड़े । क्षीर सागर भरे ।। भेंट सानन्दना […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 84 =हाईकू= हो तुम्हीं मेरे, न घर आओगे, तो कौन आयेगा ।।१।। जिया बगिया है मुरझाई, कौन महकायेगा ।।२।। देखो ‘ना’ चाँद आ जाये, कुमुद के लिये रोजाना ।।३।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 83 किया वादा देने का साथ तुमने, जबसे । है फेरा मेरे सिर पे हाथ तुमने, तबसे ।। गुम कहीं थकान हुई । मेरी जिन्दगी आसान हुई । मैं जुड़ने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 82 दूज शरद पूनम चंदा ! माई श्री मन्ती नंदा ।। तुम्हें मना पायें, आये । श्रद्धा सुमन सँजो लाये ।। तारण तरण, दरद-मन्दा । माई श्री मन्ती नन्दा ।।स्थापना।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक-81 आँगन आँगन उत्सव छाया । ग्राम सदलगा चाँद दिखाया ।। ऐसा चाँद न पूनम वाला । ऐसा चाँद न दूज निराला ।। आँगन आँगन उत्सव छाया । भागा तम समेट […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 80 तेरी याद बनी रहे । मैं कभी कहीं भी रहूँ । मेरे साथ तेरी रोशनी रहे ।। तेरी याद बनी रहे ।।स्थापना।। मैं तेरी शरण में आया हूँ । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 79 कुछ न कहने का करता मन । तुझे देखते रहने का करता मन ।। तू इतना सुन्दर जो है, एक बाहर अन्दर जो है, एक टक देख भी न […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 78 छुआ जिन्होंने आगम को, गहराई से । जो पुनीत ! दुख जिन्हें, स्वयं के राई से ॥ सहज जीवनी करुणा, हस्ताक्षर जिनकी । गुरु विद्या नित करें वन्दना, हम […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 77 आप क्या जीवन में आये । आये झोली चाँद सितारे ।। लागी मेरी नाव किनारे । रंग नव जीवन में छाये ।। आप क्या जीवन में आये । बीच […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 76 शबरी झुक झूम रही । मीरा रुक घूम रही ।। मन तुम्हारे न भाता हूँ । क्या मैं परायों में आता हूँ ।। फिर मुझे भुलाया क्यूँ है । […]
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