परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 115 मुझ सा दूजा न भागवाँ । मिल आप गये जो बागवाँ ।। थी एक यही बस आश ऽमा । मैं भी छू पाऊँ आसमाँ ।। स्थापना ।। प्रासुक […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 115 मुझ सा दूजा न भागवाँ । मिल आप गये जो बागवाँ ।। थी एक यही बस आश ऽमा । मैं भी छू पाऊँ आसमाँ ।। स्थापना ।। प्रासुक […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 114 माँ श्री मति विद्याधर । मल्लप्पा पीलु अपर ।। गिनी, तोता जग-जन के । गुरु ज्ञान विद्या-सागर।।स्थापना ।। उज्जवल जल भर गागर । पद-कमल आप पाकर ।। सादर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 113 लो लख इक नजर उठाकर । नीरज सूरज सा आकर ।। रत्नाकर, ज्ञान-दिवाकर । जय जय गुरु विद्या-सागर ।। स्थापना ।। भरकर जल निर्मल गागर । भेंटूँ समकित […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 112 प्रिय शिष्य ज्ञान सागर ओ ! तिय संध्य ध्यान-भा धर ओ ! इतनी सी करुणा कर दो । निशि-दीस बना जागर लो ।।स्थापना।। मेरी बदमाशी हर लो । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 111 गुरुदेव हमारे । ठाड़े तुम द्वारे ।। तुम भी कभी आओ । मेरे भी द्वारे ।। स्थापना ।। तर जल कर गागर । दर चल कर आकर ।। भेंटूँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 110 विद्या गुरु राया । हित पूजन आया ।। एक नजर उठा दो । रज-चरण भिंटा दो ।। स्थापना ।। जल निर्मल लाया । आ चरण चढ़ाया ।। ओ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 109 पड़ गई नजर क्या तुम्हारी । खुल गई लॉटरी हमारी ।। तर गई कुटिया गरीबा । जाऊँ मैं आज बलिहारी ।।स्थापना।। भर नीर, तीर हित आये । आ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 108 निराकुल निरभिमानी । निराकुल ‘जिन-कि’ वाणी ।। गुरु वे बाबा-छोटे । लें भाव विहर खोटे ।। स्थापना ।। लाये जल भरे घड़े । रहते नित भाव बड़े ।। गुरु-वर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 107 निरे निराकुल यही । खोज लिया हर कहीं ।। यही सभी ने कही । सिर्फ इन्हीं से यही।।स्थापना।। कहाँ धीर साथ में । लिये नीर हाथ मैं ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 106 बनने चले निराकुल । रहना सीखे मिलजुल ।। गुरु वे विद्या-सागर । अपना लें, करुणा कर ।।स्थापना।। भर झारी जल लाये । मन चंचल पन भाये ।। गुरुवर […]
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