परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 125 आओ गुरुवर आओ ।आ दीप थमा जाओ ।।छाया अँधियारा है ।इक तिरा सहारा है ।। स्थापना ।। दृग् पानी रहा कहाँ ।बिक पानी रहा यहाँ ।। छाया अँधियारा है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 125 आओ गुरुवर आओ ।आ दीप थमा जाओ ।।छाया अँधियारा है ।इक तिरा सहारा है ।। स्थापना ।। दृग् पानी रहा कहाँ ।बिक पानी रहा यहाँ ।। छाया अँधियारा है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 124 बच्चों से दिल सच्चे ।बच्चों के सँग बच्चे ।।हर बच्चे को प्यारे ।छोटे बाबा हमारे ।। स्थापना ।। इनकी मुस्काँ मीठी ।मिसरी गुड सारीखी ।।जल के भर लाये घट […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 123 पलक मुझे रख लो निगाह में ।खड़ा विछा के पलक राह में ।। फिर तो समझो खुली लॉटरी ।इच्छा पहली यही आखरी ।।स्थापना ।। जल से भर लाया […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 122 गुरुवर मिरे, गुरुवर मिरे । गद-गद हिये, तर-दृग् किये ।। बालक तिरे, दर पर खड़े । गुरुवर मिरे, गुरुवर मिरे।। स्थापना।। कञ्चन घड़े, ले जल भरे । बालक […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 121 मुझ शबरी के धन राम ओ । मुझ मीरा के घनश्याम ओ ।। कर मिरा जरा सा काम दो । पल अब-तब मुख तव नाम हो ।। स्थापना।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 120 सुनि सुनि मीरा अन्तर धुनि । सुनि सुनि शबरी मन्तर ध्वनि ।। गुरु ! हम भी रहे पुकार तुम्हें । भव-जल से दो कर पार हमें ।।स्थापना।। लेके […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 119 प्रद रोजगार हतकरघा । हर बोझ भार लें हर का ।। श्री गुरु वे तारण-हारे । सुलटा दें भाग-सितारे ।।स्थापना ।। प्रतिभा संस्थली प्रणेता । नेता-यति, अक्ष-विजेता ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 118 गर पूछो, बतलाता । क्यों यहाँ चला आता ॥ गुरुवर तुमसे मेरा । है जन्मों का नाता ।।स्थापना।। गर पूछो, बतलाता । क्यों कर भर जल लाता ॥ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 117 दर तिरे सवाली आये हैं । पूजन की थाली लाये हैं ।। नहिं और प्यास लो बना दास । अभिलाष ये खाली लाये हैं ।। स्थापना।। दर तिरे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 116 आओ कर करुणा । संपूरो-सपना ।। छोटे-बाबा अर । जय विद्या-सागर ।।स्थापना ।। भर नीर चढ़ाता । दो धीर विधाता ।। अर गोशाला-धर । जय विद्या-सागर।।जलं ।। रस-गन्ध […]
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