परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 175 खूब समय का जानें जो उपयोग ।जिन्हें रोग से इन्द्रिय विषयन भोग।।चेतन कृति गुरु ज्ञान सिन्धु की एक ।गुरु विद्या वे वन्दन तिन्हें अनेक ।। स्थापना ।। कलशों में भर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 175 खूब समय का जानें जो उपयोग ।जिन्हें रोग से इन्द्रिय विषयन भोग।।चेतन कृति गुरु ज्ञान सिन्धु की एक ।गुरु विद्या वे वन्दन तिन्हें अनेक ।। स्थापना ।। कलशों में भर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 174 रखते जो नित योगों की सँभाल । काटा करें न बैठे हैं जिस डाल ।। गुरुवर वे विद्या सिन्धु महाराज ।आये पल अखीर, रख लेवें लाज ।। स्थापना ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 173 हैं पाबन्द समय के बचपन से ।जिन्हें ‘निराकुल है’ न सुना किनसे ।।नियम लगे नहिं जिन्हें कभी बन्धन ।श्री गुरु विद्या सिन्धु तिन्हें वन्दन ।। स्थापना।। प्रासुक जल के भर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 172 गुरुवर तेरे दीवाने ।आये हैं तुम्हें मनाने ।।दो नजर उठा इक बारी ।जाऊँ मैं बलि-बलि हारी ।। स्थापना ।। लाया जल से झारी भर ।आने बाहर से भीतर ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 171 उलझन घेरे ।घोर अँधेरे ।।भगवन् मेरे ।शरणन तेरे ।।आये भेंटो ।भोर सबेरे ।। स्थापना ।। ले जल झारी ।बना पुजारी ।।भो ! अविकारी ।रहूँ न भारी ।। जलं ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 170 मैं बड़भागी ।मेरी लगन लागी ।।गुरु चरण से ।तन मन वचन से ।। स्थापना ।। अपहर माया ।सुन विरद आया ।।दृग् जल लाया ।हित हिरणा दांया ।। जलं ।। अपहर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 169 जय हो जय हो ।विद्या सिन्धु अहो ।।आ मेरे हृदय रहो ।चरणों में अपने रख लो |अपनों में अपने रख लो ।आ मेरे हृदय रहो ।विद्या सिन्धु अहो ।।जय हो […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 168 तुम्हीं सँजोये सपने हो ।तुम्हीं हमारे अपने हो ।। दया दया कर बरषाओ ।पास बुला लो या आओ ।। स्थापना ।। जल भर ले झारी आया ।रह रह तड़फाये […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 167 भिजाने वाले शिव ग्राम ।बनाने वाले सब काम ।।हनुमंत भक्त मुझ राम ।गुरु विद्या सिन्धु प्रणाम ।। स्थापना ।। जल झारी लिये ललाम ।थक टिक न बैठने शाम ।।हनुमंत भक्त […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 166 इक साँचा गुरु का द्वारा ।संसार प्रपञ्च पिटारा ।। नहिं कोई और हमारा ।गुरुदेव तिहार सहारा।। स्थापना।। झारी भर लाया जल की ।ओ फिकर विहर लो कल की ।। […]
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