परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 185 वही जो सबसे प्यारे ।वही जो जग से न्यारे ।। कौन वह बतला भी दो ।छोटे बाबा हमारे ।। स्थापना।। इन्हें गुस्सा न आता ।छू न अभिमान पाता ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 185 वही जो सबसे प्यारे ।वही जो जग से न्यारे ।। कौन वह बतला भी दो ।छोटे बाबा हमारे ।। स्थापना।। इन्हें गुस्सा न आता ।छू न अभिमान पाता ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 184 होता पलक भी,झलक तेरी पाना।खुशी का मेरी,न रहता ठिकाना ।। स्थापना ।। छाँव ‘तर’ सर और छाते ।सदा मिलते मुस्कुराते ।।नीर लेके शरण आया ।रहें यूँ ही छत्र छाया ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 183 जन जिन्हें निराकुल कहते हैं ।मुस्कान बाँटते रहते हैं ।।माँ श्रीमति मल्लप्पा नन्दन ।शत सतत तिन्हें सविनय वन्दन ।। स्थापना ।। लाये घट प्रासुक जल भर के।नहिं निलय बने किस-किस […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 182 निराकुल निरुपम ।तम-विहर, हर-गम ।।सुत वे गुरु ज्ञान ।दें अदम भर दम ।। स्थापना।। ‘जि-लाय’ नीर हम ।सताय पीर गम ।।सुत ओ गुरु ज्ञान ।हर लो हर सितम ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 181 निराकुल तुम्हीं ।यमी संयमी ।। सिन्धु ज्ञान सुत ।आठवीं दो जमीं ।। स्थापना।। भरे जल घड़े ।लिये दर खड़े ।।सिन्धु ज्ञान सुत ।मनवा न लड़े ।। जलं ।। लिये […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 180 निराकुलता से नेह इन्हें ।निराकुल रहना गेह इन्हें ।।सिन्धु विद्या छोटे बाबा ।हरो छल-छिद्र वा छलावा ।। स्थापना।। नीर से भर लाये झारी ।तुम्हीं से बनने अविकारी ।।सिन्धु विद्या छोटे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 179 न निराकुल इनसा ।दरिया दिल इंसाँ ।। मसीहा अहिंसा ।सम्पूरो मंशा ।। स्थापना ।। लाये आ चल जल ।अपहरने छल-पल ।।विद्या सागर ओ ।छल सभी विहर लो ।। जलं […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 178 निराकुल है रोम रोम ।रहें जपते ओम-ओम ।।सिन्धु विद्या वे मुनीश ।दें आशीष निशि-दीस ।। स्थापना ।। लिये नीर झारिंयाँ ।रहे हार पारिंयाँ ।।गुरु विद्या सिन्धु जी ।दीजे बना साहसी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 177 दो बिगड़ी बना ।ओ महामना ।।बस इक सपना ।गुरु,लो अपना ।। स्थापना।। लाये भर जल ।होने अविचल ।।विद्यासागर ।लो नकल विहर ।। जलं ।। लाये चन्दन ।होने सज्जन ।विद्या सागर।लो […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 176 फब रहे हैं गीत पल के ।कब रहे हैं मीत कल के ।।वर्तमाँ-वर्द्धमाँ,कुल मिला के निराकुल ये ।। स्थापना।। इन्हें छूँ न पाये गुमाँ ।यदपि छू ये रहे आसमाँ ।।लिये […]
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