परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 225 जहाँ, निराकुल और नहीं ।यहाँ न गुरुकुल और कहीं ।।वे गुरु ज्ञान चरण वसिया ।लें कर हमें चरण रसिया ।। स्थापना ।। गुरुकुल बड़ा निराला है ।सुकूँ थमाने वाला है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 225 जहाँ, निराकुल और नहीं ।यहाँ न गुरुकुल और कहीं ।।वे गुरु ज्ञान चरण वसिया ।लें कर हमें चरण रसिया ।। स्थापना ।। गुरुकुल बड़ा निराला है ।सुकूँ थमाने वाला है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 224 जिन्हें निरखने दृग् तरसें सब की । चलती फिरती जो मूरत रब की ।। गुरु विद्या हम भक्तों के भगवन् । उलझी, दें कृपया सुलझा उलझन।। स्थापना।। चल चरखा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 223 जिन्हें लुभाती रहे निराकुलता ।जिनके दर्शन से सुकून मिलता ।। गुरु विद्या वे माँ श्री मति नन्दन ।अन्तरंग से नन्त तिन्हें वन्दन ।। स्थापना ।। नाता कब बन्ध्या सुत सेहरे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 222 करती झूठे वादे है ।दुनिया मतलब साधे है ।।कलि बिन गुरु राई पूजा ।नहिं शरण-सहाई दूजा ।। स्थापना ।। बढ़ बन्दर बाँट रहा है ।नहिं अन्धर हाट कहाँ है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 221 बन्दर बाँट न तुम्हें सुहाये ।जो भी आये, खुश हो जाये ।।दुखिया मैं भी करुणा कीजो ।मुझे दया कर अपना लीजो ।। स्थापना।। समय-सार सब दिया किसी को ।विनय द्वार […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 220 लाज सभी की रख लेते ।काज बना सब के देते ।।वे छोटे बाबा सबके ।रूप दूसरे ही रब के ।। स्थापना ।। रात शरद पूनम वाली ।मनी सदलगा दीवाली ।।वे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 219 विद्या सिन्धु अहो । इक तुम्हीं निराकुल हो ।। इक तुम्हीं नेक-दिल हो । विद्या सिन्धु अहो ।। स्थापना।। विद्या सिन्धु अहो ! इक तुम्हीं सुधा रस हो ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 218 नहिं और निराकुल इनसा । यहिं इक पूरण ऽखिल मंशा ।। गुरु ज्ञान कलाकृति न्यारी । स्वीकारो ढ़ोक हमारी ।। स्थापना ।। हैं नीले-नीले नयना । मीठे-मीठे से वयना […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 217 सुनते दुख हर लेते ।झोली सुख भर देते ।।हूँ दुख घाम सताया ।भेंटो छत्रच्छाया ।। स्थापना ।। लाया हूँ जल पावन ।पाने जल सा दामन ।।हूँ छल घाम सताया ।भेंटो […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 216 तुम सुन लेते सबकी । नैय्या खेते सबकी ।। मैं भी मँझधार पड़ा । कर दो उस पार खड़ा ।। स्थापना ।। कलि गोपाला गैय्या । नौ बेजुवाँ खिवैय्या […]
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