परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 245 इक मन से, वच से, तन से ।ओ ! ज्ञान-वृद्ध बचपन से ।।गुरु ज्ञान चरण अनुरागी ।दो जोड़ प्रीत सच धन से।। स्थापना।। तुमसे विवेक पा हंसा ।रत निंदा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 245 इक मन से, वच से, तन से ।ओ ! ज्ञान-वृद्ध बचपन से ।।गुरु ज्ञान चरण अनुरागी ।दो जोड़ प्रीत सच धन से।। स्थापना।। तुमसे विवेक पा हंसा ।रत निंदा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 244 खूबसूरत हो । शुभ मुहूरत हो ।। तुम हाँ ! हाँ ! हाँ ! तुम । भगवत् मूरत हो ।। स्थापना ।। गुरु ज्ञाना-भरणा । ओ ! तारण-तरणा । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 243 ‘जि तारण तरण । अकारण शरण ।। नजर डाल दो । लगा पार दो ।। स्थापना ।। भरे जल घड़े । लिये दर खड़े ।। नजर डाल दो । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 242 कहर बरपा हा ! पाप का ।कलि सहारा हाँ आपका ।।मेरे सिर पर छाँव कीजे ।गाँव शिर-पुर नाव कीजे ।। स्थापना।। घर घर में, है मधुशाला ।घर घर में, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 241 ओ महा-विद्या-आलय । हो रहा विद्या का लय ।। कृपा-कर जगहा-जगहा । दो-खुला संस्थलि प्रतिभा ।। स्थापना।। लगा इतिहास पलटने । लगे शिक्षक भी बिकने ।। कृपा कर जगहा-जगहा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 240 मिसरी तुम घोलते हो । जुबां जब खोलते हो ।। कला ये दो सिखला भी । साथिया वधु-शिव भावी ।। स्थापना ।। पा नजर जो जाता है । हाँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 239 मन मेरे वचन तन । मेरे जीवन धन ।। हो क्या-क्या नहीं तुम । तुम्हीं मेरे भगवन् ।। स्थापना।। कलश नीर लाये । गहल कीर छाये ।। कर कुछ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 238 हैं अंधेरे ।दो कह इक दफा ।ओ ! मेरे खुदा ।हैं हम तेरे ।। स्थापना ।। घट-जल भरे ।दो कह-इक दफा ।ओ ! मेरे खुदा ।हैं हम तेरे ।।हैं अंधेरे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 237 फूल पथ में हों, या काँटे । सदा मिलें जो, मुस्कुराते ।। जलज जल-भिन्न वे जग में । करें संस्थित मुकति मग में ।। स्थापना ।। भोर, ना लख […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 234 विद्या सिन्धु अहो । दे जगह चरण दो ।। बे-वजह शरण ओ ! विद्या सिन्धु अहो ।। स्थापना।। विद्या सिन्धु अहो । घट लाये नीर हम । हट जाय […]
© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point
© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point