माया (१) स्वयं शब्द ही कह रहा है मॉं…या मैं दोनों में से कोई एक रहेगा अब मर्जी आपकी मॉं जिसमें सारा संसार समाया है वह चाहिए या फिर माया जिसने हमारा संसार बढ़ाया है (२) खुद-ब-खुद कह रहा है […]
माया (१) स्वयं शब्द ही कह रहा है मॉं…या मैं दोनों में से कोई एक रहेगा अब मर्जी आपकी मॉं जिसमें सारा संसार समाया है वह चाहिए या फिर माया जिसने हमारा संसार बढ़ाया है (२) खुद-ब-खुद कह रहा है […]
मान (१) खुद-ब-खुद शब्द ही कर रहा है जहॉं मान वहाँ माँ न और बिना माँ के बच्चे की जिन्दगी कटी पतंग सी फटे-मृदंग सी (२) अहम् मतलब सिर्फ हम और शब्द ही रह रहा है अर-हम पीछे से आप […]
उत्तम क्षमा (१) ठण्डे पड़ना अलग ही बात है मैं ठण्डे होने की बात कर रहा हूॅं अग्नि क्या हटी पानी ठण्डा हो चला मुझे अभी पानी से पानी है ये कला (२) गरम हुये नहीं ‘कि ठण्डे हो चलना […]
न्यार-दिन-वार (१) किसी मंगल कार्य के मंगलाचरण के लिये आज रविवार से बढ़ करके मंगलमय होगा तो होगा मुझे और कौन सा वह दिन उर्दू जुबां बोलने वाले ग्रामवासी जन जिसे कहते हैं ‘इतबार’ ऐतबार का दिन क्यूँ ना मैं […]
(१) मैं SUNDAY के दिन मन्दिर जरूर जाता हूँ पता है क्यूँ ? भगवन् हर-दिन हमारी हाजरी यानि ‘कि Attendance जो लेते हैं ‘के वन सण्डे टू सण्डे, नाईन सण्डे फिर ? फिर क्या, पार दसवाँ रविवार टेन सन् कहते […]
(१) जन्माष्टमी मतलब गो सेवा गो शाला गो रक्षा गो पालन सच ‘माँ गो’ धन (२) जन्माष्टमी मतलब No बूचड़ खाने No कत्ल घर No सिलेटर हाऊस No कसाई मण्डी सिर्फ और सिर्फ गो अंधी भक्ति (३) जन्माष्टमी मतलब गैय्या […]
मुनि श्री निराकुल सागरजी महाराज
मुनि श्री निराकुल सागरजी महाराज
मुनि श्री निराकुल सागरजी महाराज
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