परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 265 *हाईकू* बर्खा करीबा ‘नुति शाने हिन्दुस्तँ’ चर्खा संजीवा ।।स्थापना।। चढ़ाऊँ जल, चन्दन समाँ, पाने ‘भी’तर क्षमा ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन, चन्दन समाँ, पाने तुम्हें आँगना ।।चन्दनं।। चढ़ाऊँ शालि-धाँ, चन्दन समाँ, […]