परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 345 =हाईकू=जपे आपका नाम‘जी’ धक-धकआठों ही याम ।।स्थापना।। जुड़ने आप से हैं आये,साथ में दृग् जल लाये ।।जलं।। मिलने आप से हैं आये,साथ में चन्दन लाये ।।चन्दनं।। सुनने आप से हैं […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 345 =हाईकू=जपे आपका नाम‘जी’ धक-धकआठों ही याम ।।स्थापना।। जुड़ने आप से हैं आये,साथ में दृग् जल लाये ।।जलं।। मिलने आप से हैं आये,साथ में चन्दन लाये ।।चन्दनं।। सुनने आप से हैं […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 344 हाईकू आये सेवा में,ओ !‘अपना’ सेवक लो बना हमें ।।स्थापना।। जल से भरा, बस यह घड़ा,लो अपना जरा ।।जलं।। अरमाँ मिरा, बस ये चन्दन,लो अपना जरा ।।चन्दनं।। सहारा तिरा, बस […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 343 हाईकू निहारो,थारे बिना,गुरु ‘जी’ सूना-सूनापधारो ! ।।स्थापना।। भेंटूँ उदक-सी जी, पाने ठण्डक,ए ! ‘जित-अख’ ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन-सी ही, पाने दमक,ए ! ‘जित-अख’ ।।चन्दनं।। भेंटूँ अक्षत-सी ही, पाने खनक,ए ! ‘जित-अख’ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 342 हाईकू थारे बिना ‘जि गुरु जीतन्हा तन्हा, मन आँगना ।।स्थापना।। भेंटूँ मैं जल, साथ श्रद्धा बेछोर,हाथों को जोड़ ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन मलयज मेैं घोर,हाथों को जोड़ ।।चन्दनं।। भेंटूँ अक्षत मैं […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 341 हाईकू उनमें से श्री गुरु,जिनके कामों से आती खुश्बू ।।स्थापना।। पाने अमनो चैन,लाये ये जल ले भींगे नैन ।।जलं।। जागने दिन रैन,लाये चन्दन ले भींगे नैन ।।चन्दनं।। पाने द्यु-काम धेन,लाये […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 340 हाईकू मेरे भगवन्दर्शन आ दोनैना सावन भादों ।।स्थापना।। जल चढ़ाऊँ,कल फिर बुलाने ‘कि मना पाऊँ ।।जलं।। गंध चढ़ाऊँ,‘कि पुन: ऐसे पल-स्वर्णिम पाऊँ ।।चन्दनं।। थाली धाँ शाली चढ़ाऊँ,दीवाली ‘कि रोज मनाऊँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 339 *हाईकू* पड़गाहन ‘आप’ आँगन चाहता,क्या ‘दे-बता’ रास्ता ।।स्थापना।। दे दे तालियाँ,‘करूँ मैं समर्पित’ जल झारियाँ ।।जलं।। दे दे तालियाँ,‘करूँ मैं समर्पित’ गंध प्यालियाँ ।।चन्दनं।। दे दे तालियाँ,‘करूँ मैं समर्पित’ धाँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 338 =हाईकू= विलाशक,है ‘लक’,विला म्हारे,जो आप पधारे ।।स्थापना।। चढ़ाऊँ नीर,‘कि तुम्हें मना पाऊँ ए मेरे वीर ।।जलं।। चन्दन भेंटूँ,‘कि कभी चन्दन सा पुण्य समेंटूँ ।।चन्दनं।। भेंटूँ धाँ शाली,राखी गई खाली, न […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 337 ==हाईकू== दिखा, तुझसे फीका,‘देखा चाँद’न तुझ सरीखा ।।स्थापना।। रहे स्वप्न न सम्यक् दर्शन,भेंटूँ जल नयन ।।जलं।। रहे स्वप्न न सदाचरण,भेंटूँ घट चन्दन ।।चन्दनं।। रहे स्वप्न न स्वानुभवन,भेंटूँ धाँ शालि कण […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 336 ==हाईकू==जा ‘घर-घर सहाई,चन्द्र-भान से गुरुराई ।।स्थापना।। छीना विकथा ने, चैन मेरा,मुझे सहारा तेरा ।।जलं।। छीना कटुता ने, चैन मेरा,मुझे सहारा तेरा ।।चन्दनं।। छीना अ’भि-मां ने, चैन मेरा,मुझे सहारा तेरा ।।अक्षतं।। […]
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