परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 375 =हाईकू= छुये आनंद ही आनंद,आगम ‘सन्त’ बसन्त ।।स्थापना।। मेरी कुटिया में आज तुम आये,दृग् भर आये ।।जलं।। आ तुमनें की कुटिया मेरी धन,भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।। आये हो तुम, जो मेरी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 375 =हाईकू= छुये आनंद ही आनंद,आगम ‘सन्त’ बसन्त ।।स्थापना।। मेरी कुटिया में आज तुम आये,दृग् भर आये ।।जलं।। आ तुमनें की कुटिया मेरी धन,भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।। आये हो तुम, जो मेरी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 374 हाईकू सुनाऊँ किसे,‘छोड़ के तुझे’ कौन जानता मुझे ।।स्थापना।। आप करुणा जाये बरस,लाये जल कलश ।।जलं।। आप करुणा जाये बरस,लाये चन्दन घिस ।।चन्दनं।। आप करुणा जाये बरस,लाये धॉं गैर तुस ।।अक्षतं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 373 =हाईकू= गुरुजी को न प्यारा,बच्चा कौन,न माँ का दुलारा ।।स्थापना।। रक्खे किसकी न खबर तू,सुन ये जल भेंटूँ ।।जलं।। रक्खे सभी की खबर तू,सुन ये चन्दन भेंटूँ ।।चन्दनं।। भेंटे पदवी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 372 हाईकू न ‘कि एक से, करे प्यार, हरेक से गुरु द्वार ।।स्थापना।। हाथ दृग् जल बस, ‘मैं दो गला’ दो बना त्रिदश ।।जलं।। हाथ चन्दन बस, होना ‘कछुआ, ‘मैं’ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 371 भागे जाओ न अकेले,हमें भी ले चालो धकेले ।।स्थापना।। बिठाते मन तरंग,आया सुन ये जल संग ।।जलं।। छुवाते नभ पतंग,सुन आया चन्दन संग ।।चन्दनं।। समाते रस्ते दृग् अंतरंग,सुन आया धाँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 370 हाईकू पीछी तो है ही ‘ना’ साथ, थाम मेरा भी लो ‘ना’ हाथ ।।स्थापना।। तुम तारते, सुन ये, लिये जल-दृग् पुकारते ।।जलं।। तुम दृष्टि-माँ निहारते, ले गंध-सो पुकारते ।।चन्दनं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 369 हाईकू जो गुरु जी के पीछे लागे, भाग उनके जागे ।।स्थापना।। भेंट दृग्-जललो देख जरा, एक बार मुस्कुरा ।।जलं।। लो स्वीकार, ये चन्दन घुरा, एक बार मुस्कुरा ।।चन्दनं।। लो […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 368 *हाईकू* पाप मन के खो जाते,श्री भगवन् के जो हो जाते ।।स्थापना।। ले आये नीर नयन,खोजे, न पाये जल कण ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन,‘जि गुरु जी आप सा ही’ पाने मन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 367 **हाईकू** गुरु द्वार आ, देते ही ढोक, होते छू रोग-शोक ।।स्थापना।। जल चढ़ाऊँ,मैं भीतर जाऊँ,मैं भी `तर´ जाऊँ ।।जलं।। चन्दन लाऊँ,चरण चढ़ाऊँ, मैं भी `तर´ जाऊँ ।।चन्दनं।। अक्षत लाऊँ,विनत […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रमांक 366 =हाईकू= पास किसी के,नजर-पारखी तो बस ऋषि के ।।स्थापना।। कल फिर से, पाऊँ कि गन्धोदक,भेंटूँ उदक ।।जलं।। कल फिर से, पाने रज-चरण,भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।। कल फिर से, पाने तेरी मुस्कान,भेदूँ […]
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