परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 385 हाईकू – गुण एकेक पाये, ‘स्टार’ अम्बर आप लगाये ।।स्थापना।। यूँ ही न लागी तुमसे लगन, ए ! नम नयन !।जलं।। यूँ ही न लागी तुमसे लगन, ए ! […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 385 हाईकू – गुण एकेक पाये, ‘स्टार’ अम्बर आप लगाये ।।स्थापना।। यूँ ही न लागी तुमसे लगन, ए ! नम नयन !।जलं।। यूँ ही न लागी तुमसे लगन, ए ! […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 384 =हाईकू= लिखा चाँद में आप जश,दूर से न दिखे बस ।।स्थापना।। ये बन्धन-भौ छूट जाये,ले आश ये जल लाये ।।जलं।। छूटे बन्धन-भौ !ले आश ये भेंटूँ मैं चन्दन को ।।चन्दनं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक383 हाईकू दे पत्थर को बना आदर्श, गुरु चरण-स्पर्श ।।स्थापना।। घने-घने ‘कि तेरे दर्शन पाऊँ, जल चढ़ाऊँ ।।जलं।। घने-घने ‘कि पग पखार पाऊँ, गंध भिंटाऊँ ।।चन्दनं।। घने-घने ‘कि तुम्हें पड़गा पाऊँ, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 382 हाईकू कहीं मिलता निखालस प्यार तो, गुरु-द्वार वो ।।स्थापना।। है दृग्-जल ये समर्पित, तरेरे दृग् बुरी जिद ।।जलं।। है चन्दन ये समर्पित, पाने दो बोल-अमृत ।।चन्दनं।। हैं अक्षत ये […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 381 =हाईकू= भींगा गुरु ‘जी’ दुआ से,है मिलता जुलता मॉं से ।।स्थापना।। नैन सफल झूमे जिया,तूने जो अपना लिया ।।जलं।। भाँति ‘चन्दन’ झूमे जिया,तूने जो अपना लिया ।।चन्दनं।। यादें अछत, झूमे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 380 हाईकू आता उन्हीं में मैं भी,तुम्हें अपनी जिन्होंने जाँ दी ।।स्थापना।। मर्कट-मन, शान्त बैठाने,आये तर दृग्-कोने ।।जलं।। मर्कट-मन, शान्त बैठाने,लाये गंध चढ़ाने ।।चन्दनं।। मर्कट-मन, शान्त बैठाने,लाये शाली धाँ दाने ।।अक्षतं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 379 =हाईकू= ‘जी’ बीचों-बीच हैं जो जगह,तेरे लिये है वह ।।स्थापना।। जन्म मरण दीजे मिटा,दृग्-जल मैं रहा भिंटा ।।जलं।। आवागमन दीजे मिटा,चन्दन मैं रहा भिंटा ।।चन्दनं।। वन-रुदन दीजे मिटा,अक्षत मैं रहा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 378 **हाईकू** हुआ तुम्हें पा के सोना सोना, ‘गुरुजी’ कोना-कोना ।।स्थापना।। अजूबा, ‘हुआ मोती दृग् जल’ सर-भक्ति क्या डूबा ।।जलं।। अजूबा, ‘हुई चन्दन धूली’ सर-भक्ति क्या डूबा ।।चन्दनं।। अजूबा, ‘हुआ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 377 ==हाईकू== सूत्र जो होता गहरा, देते ही श्री गुरु दुहरा ।।स्थापना।। चरणा ‘आप’, शरणा पाने, लाये ‘जल’ चढ़ाने ।।जलं।। चरणा ‘आप’, शरणा पाने, लाये ‘चन्दन’ गाने ।।चन्दनं।। चरणा ‘आप’, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रमांक 376 =हाईकू= कभी म्हारा भी निहार, द्वार तू,न और आरजू ।।स्थापना।। दृग् जल लाये चरण,बरसा दो कृपा भगवन् ।।जलं।। चरण लाये चन्दन,बरसा दो कृपा भगवन् ।।चन्दनं।। लाये धाँ, पाने शरण,बरसा दो […]
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