सवाल
आचार्य भगवन् !
व्यक्ति सफेद-पोश,
जब बड़े-बड़े अपने दोष
आपको बताते हैं,
और फिर जब कभी वे,
प्रायश्चित भवन से बाहर,
आपको टकटाने हैं,
तो आप उन्हें पूर्ववत्,
सहजो नजर से ही देखते हैं
या फिर अपराधी की नजर से,
‘कि मैं इन्हें, कैसा अच्छा मानता था,
और ये तो एक ही थैले के चट्टे बड़े निकले ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
देखिये,
कौन कलजुग में दूध का धुला है
थोड़ा बहुत
‘पाँव’
सभी का तो कीचड़ से सना है
यूँ ही न रख देते नाम जन-जन
पालने में ही दीखने लगते है पूत के लक्षण
फिर लगा साबुन,
कितना ही धो लो
कितना ही धो लो,
झिर लगा सावन
कीच
अंगुली, नख बीच
‘पाँव’ तो, छपा ही रहेगा
हाँ…
एक और पर्यायवाची शब्द है,
चरण
छू लो आ….चरण
पर मत भूलो,
अब
आँच यानि ‘कि आग से,
रण यानि ‘कि युद्ध है
कहते हुये माँ ओम्
‘मोम’ बन मत जाना
आना हो तो आना,
बन करके पाहन,
‘के पा…हन यानि ‘कि मारो चोट
निकालो खोट
ताव पे ताव
‘कि हुये अपने
‘पूरे सोला’
सपने देखती माँ
सो…ना
रो….ना बारिस,
बस बार-इस
मेरा भी यही एक अर…माँ
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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