सवाल
आचार्य भगवन् !
और संघों में और-और रंग के कमण्डलु हैं,
आपके यहाँ, सिर्फ और सिर्फ,
काले रंग का ही कमण्डलु है,
क्या कोई विशेष बात है, लाल, पीले, सफेद, काले रंग के कमण्डलु रखने में ?
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
आपने,
फकीरों के हाथ में पात्र देखा होगा
यह नारियल का आधा भाग है
यह बाहर देश से आता है
बड़े-बड़े जहाजों में संतुलन के लिये,
लगाया जाता है, पूरा नारियल
प्रकृति प्रदत्त रंग का होता है
और पाँच रंग पञ्च-परमेष्टि के
सो संघ कोई भी हो
सभी के अंतरंग में, परम तत्त्व के प्रतीकात्मक
रंगों का अपना-अपना सहज चुनाव है
जो प्रकृति प्रदत्त रंग चाहते है
वे सहजता के उपासक है
लाल रंग वाले
आराधक शौर्य सिद्धत्व के
सफेद रंग वाले
साधक शान्त प्रशान्त अरहत तत्व के
पीले रंग वाले
सूरि तत्व खुशहाली चाहते
हरे रंग वाले
बुद्धत्व हरियाली चाहते
और नीले/काले रंग वाले
अभिलाषी श्रमणत्व निस्तरंग निराले
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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