सवाल
आचार्य भगवन् !
उई माँ कहते हैं हम
उई पापा क्यों नहीं कहते हैं
क्या पापा माँ से कुछ कम हैं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
कोई किसी से कम नहीं
दोंनो बरोब्बर ही हैं
कौन नहीं कहता है,
बाप ‘रे
मु…सीबत आने पर कोन कोन कहता है
बटोर कर
तिनका-तिनका जोड़कर
किया तैयार एक बेजोड़ घर
नन्ने-मुन्ने अपने बच्चों के लिये
जुग परिन्दा जिये
जुग-जुग
जुग परिन्दा जिये
पापा खींचते डोर
तो मम्मी ढ़ीला देती छोड़
पापा ढ़ीला देते छोड़
जो मम्मी खींचती डोर
‘के मासूम
मथानी जैसे घूम-घूम
सकें झूम
अमाँ ! आलापा किस किसने नहीं
छोड़ माँ पापा यह राग
क्या यहाँ खरात बँट रही है
चल भाग
गैर मौजूदगी में मेरा किरदार
बखूबी कोई तो अदा कर रहा है
भगवान् को नाज होता है
बच्चा अपना काम अपने हाथों से करता है
तो मम्मी-पापा को ऐतराज होता है
मेरे आँसुओं ने मेरे गालों को हुआ हो
कभी ऐसा हुआ हो
मुझे याद नहीं
अद्भुत होते हैं मम्मी-पापा
वो, ला दो मुझे,
ये दिला दो मुझे,
इन अल्फाजों से मेरी भींजी जुबाँ हो
कभी ऐसा हुआ हो
मुझे याद नहीं
मम्मी-पापा जानते जादू
नामकरण कर के खुशी
कहलवा लेते जमाने से
खुशी के आँसू
था मंदिर पहाड़ पर
ऊपर जाना था
नीचे जूते चप्पल उतार कर
मेरे जूते खोल-कर
सेंडिल अपने खोल-कर
मम्मी ने
अपने-जुराबे मुझे पहना दिये
पापा ने
ऊपर जाकर
देखा, नीचे आकर
पापा के
जुराबे से छेद थे रहे झाँक
दिखा बड़ी-बड़ी आँख
मम्मी के
थे मेरे जुराबे सही-सलामत
मम्मी पापा के जुराबे जो कर रहे थे
हिफाजत
किस माँ ने नहीं दाबे होंगे
रात सुलाते वक्त
अपने बच्चे के पैर
यह कहकर
‘के दिन-भर
भागता फिरता है, इधर से उधर
बिना थके लोकल ट्रेन सा
प्रात उठाते वक्त
अपने बच्चे के पैर
यह कहकर
‘के दिन-भर
भागता फिरता है, इधर से उधर
बिना रुके रिपोटर के पेन सा
किस पिता ने नहीं दाबे होंगे
सच…
बच्चा भले भुला दे
मरते दम तक नहीं भुलाते हैं मम्मी-पापा
‘बच्चे को’
दर-दर भटक कर, मन्नते माँग कर लाते हैं
जिन्दगी,
बच्चे की खैर खुशी,
ले आते छीन खुदा से
सच,
मम्मी-पापा
होते ही कुछ जुदा से
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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