सवाल
आचार्य भगवन् !
मन मेरा स्पष्ट वादिता के बहाने
बचकानी हरकत करने से
जब कभी मुॅंह की का बैठता है क्या करूॅं
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
देता ही जीत क्या ?
ढ़हा देता है
महल ताश प्रीत का
बन सके, चुनो हार
बरखुदार
काम के छेद से बड़ी बोल लो
बातें
छोटी-मोटी जल्दी घर कर जातीं हैं
बोलने से पहले जर्रा तोल लो
चल…
दे आते अनेकान्त का तराजू
अपने ‘भेजे’ को
ताकि,
छोटी-छोटी बातों को
करके लम्बी चौड़ी
दिल के पास न भेजे वो
बो…लो
पर रखना याद
अब कुछ-न-कुछ उगेगा
सही, कल बाद
भले न पल बाद
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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