सवाल
आचार्य भगवन् !
भगवान् के द्वारा भेजा मन,
कोरा, गोरा क्यों नहीं रह पाता है,
ये बड़े होते होते काला क्यों हो चलता है भोला-भाला पन जाने कहाँ नदारद हो जाता है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
मन को हुआ कालापन
‘के छू हुआ बालापन
मन में टिकने लगीं बातें
सौगातें
मुलाकातें
मन में पड़ने लगीं गाठें
‘के छू हुआ निरालापन
मन को हुआ कालापन
‘के छू हुआ बालापन
मन में आ निवासी ठगी
गहल-कस्तूरी मृगी
हंसी-ठिठोली दिल्लगी
मन में जर्रा भी क्या लालसा जगी
‘के छू हुआ उजाला तत्क्षण
मन को हुआ कालापन
‘के छू हुआ बालापन
मन को छूआ क्या गुमाँ
छूना आसमाँ
जादू टोना, करिश्मा
मन को तेरा-मेरा क्या जमा
‘के छू हुआ भोला-भाला पन
मन को हुआ कालापन
‘के छू हुआ बालापन
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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