सवाल
आचार्य भगवन् !
क्या कमजोर भी, बल-जोड़ के लिए
मात दे सकता है
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
छका दिया दिवाकर के लिये
आपस में मिल करके,
पानी की बूँद ने आखिर, पा ही लिया लो,
सागर के लिये
एक शब्द है समझ,
जिसने बिन्दु भर भी,
दागदार दामन वाले चाँद के लिए,
जगह नहीं दी अपने आसपास,
सिर पर चढ़ना तो दूर की बात,
उसका सपने में भी,
समँझ शब्द से कोई नाता नहीं है
यह बात किसे पता नहीं है
और चैन-कुप्पी
रुस्तम छुप्पी
हनुमान अनुमान से परे
सुरसा,
सिरसा प्रणमामि समेत
बढ़ चाली अपनी माया समेट
बाल गोपाल जिता चली
बता चली
अकल बड़ी,
बड़ी नाम की बाबरी
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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