सवाल
आचार्य भगवन् !
आप दिन रात पढ़ाते हैं शिष्यों को
लेकिन परीक्षा न मौखिक लेते हैं
और न हीं लिखित ही
फिर आप अपने बच्चों की योग्यता,
कैसे समझते है ?
कैसे परखते हैं, आप उन्हें
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
नमोऽस्तु भगवन्,
जवाब…
लाजवाब
ओ ‘जी
एक और एक दो ही नहीं
और न सिर्फ एक पे एक ग्यारह ही
एक और एक एक दो…नो मिलकर के अठारह भी
जहाँ अनेकान्त शिक्षा
वहाँ कैसी परीक्षा
प्रतियोगिता तो खेल
खास-पास
निन्यानव फेल
और परीक्षा लेने वालों की
परीक्षा कौन लेगा
उत्तर मौन मिलेगा
सो मैं तो पढ़ता हूँ
दिन रात
बिन बात
पढ़ाता हूँ
गुरुदेव की किरपा पर
श्रद्धा सुमन चढ़ाता हूँ
ओम् नमः
सबसे क्षमा
सबको क्षमा
ओम् नमः
ओम् नमः
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