- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 999
जीवेत शत-शरद्
जीवेत शत-शरद्
कह रहा कोन-कोन
न कह रहा कौन-कौन
साथ श्रद्धा सुमन
ले हृदय गदगद
कह रहा कोन-कोन
न कह रहा कौन-कौन
जीवेत शत-शरद्
जीवेत शत-शरद् ।।स्थापना।।
हरष-हरष
ले जल कलश, मण मरकत
साथ श्रद्धा सुमन
ले हृदय गदगद
कह रहा कोन-कोन
न कह रहा कौन-कौन
जीवेत शत-शरद्
जीवेत शत-शरद् ।।जलं।।
हरष-हरष
ले मलय जश, कंचन घट
साथ श्रद्धा सुमन
ले हृदय गदगद
कह रहा कोन-कोन
न कह रहा कौन-कौन
जीवेत शत-शरद्
जीवेत शत-शरद् ।।चन्दनं।।
हरष-हरष
ले धाँ दरश, सित अक्षत
साथ श्रद्धा सुमन
ले हृदय गदगद
कह रहा कोन-कोन
न कह रहा कौन-कौन
जीवेत शत-शरद्
जीवेत शत-शरद् ।।अक्षतं।।
हरष-हरष
ले दल सहस, मानस तट
साथ श्रद्धा सुमन
ले हृदय गदगद
कह रहा कोन-कोन
न कह रहा कौन-कौन
जीवेत शत-शरद्
जीवेत शत-शरद् ।।पुष्पं।।
हरष-हरष
लिये षट्-रस, थाल रजत
साथ श्रद्धा सुमन
ले हृदय गदगद
कह रहा कोन-कोन
न कह रहा कौन-कौन
जीवेत शत-शरद्
जीवेत शत-शरद् ।।नैवेद्यं।।
हरष-हरष
ले लौं सदृश, गिर गो घृत
साथ श्रद्धा सुमन
ले हृदय गदगद
कह रहा कोन-कोन
न कह रहा कौन-कौन
जीवेत शत-शरद्
जीवेत शत-शरद् ।।दीपं।।
हरष-हरष
ले गंध दश, सुगंध हट
साथ श्रद्धा सुमन
ले हृदय गदगद
कह रहा कोन-कोन
न कह रहा कौन-कौन
जीवेत शत-शरद्
जीवेत शत-शरद् ।।धूपं।।
हरष-हरष
ले फल सरस, समस्त रित
साथ श्रद्धा सुमन
ले हृदय गदगद
कह रहा कोन-कोन
न कह रहा कौन-कौन
जीवेत शत-शरद्
जीवेत शत-शरद् ।।फलं।।
हरष-हरष
ले दरब वस, सुन्दर सत्
साथ श्रद्धा सुमन
ले हृदय गदगद
कह रहा कोन-कोन
न कह रहा कौन-कौन
जीवेत शत-शरद्
जीवेत शत-शरद् ।।अर्घ्यं।।
=कीर्तन=
जय वर्तमां वर्धमां
गुरु विद्या नमो नमः
निलय करुणा दया क्षमा
गुरु विद्या नमो नमः
जय वर्तमां वर्धमां
गुरु विद्या नमो नमः
जयमाला
मन आईने सा रखते
पर पीड़ा देख न सकते
टप-टप गिर पड़ते आँसू
बनती कोशिश हित साधूँ
करुँ नाम सार्थक साधू
‘के टप-टप गिर पड़ते आँसू
पर पीड़ा देख न सकते
मन आईने सा रखते
मयूर पंख की पीछी
भींगी भींगी दृग् तीजी
‘के टप-टप गिर पड़ते आँसू
मन आईने सा रखते
पर पीड़ा देख न सकते
टप-टप गिर पड़ते आँसू
बनती कोशिश हित साधूँ
करुँ नाम सार्थक साधू
‘के टप-टप गिर पड़ते आँसू
पर पीड़ा देख न सकते
मन आईने सा रखते
खुद सा मितव्ययी कमण्डल
बिलकुल माँ के जैसा
‘के टप-टप गिर पड़ते आँसू
मन आईने सा रखते
पर पीड़ा देख न सकते
टप-टप गिर पड़ते आँसू
बनती कोशिश हित साधूँ
करुँ नाम सार्थक साधू
‘के टप-टप गिर पड़ते आँसू
पर पीड़ा देख न सकते
मन आईने सा रखते
पोथी इक छोटी-मोटी
अनबुझ प्रभु भक्ति ज्योती
‘के टप-टप गिर पड़ते आँसू
मन आईने सा रखते
पर पीड़ा देख न सकते
टप-टप गिर पड़ते आँसू
बनती कोशिश हित साधूँ
करुँ नाम सार्थक साधू
‘के टप-टप गिर पड़ते आँसू
पर पीड़ा देख न सकते
मन आईने सा रखते
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
श्री गुरु और माँ
करते रहते गल्तिंयाँ क्षमा
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