- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 984
होना मुझसे दूर पलक ना
अपने आस-पास ही रखना
मैं सार्थ नाम ‘गुल’ हूँ
हो तुम मेरी खुशबू
मेरे आस-पास ही दिखना
होना मुझसे दूर पलक ना
मुझे अपने आस-पास ही रखना ।।स्थापना।।
मैं लाया जल गगरी
है मेरी पहचान, तुम से गहरी
मैं सार्थ नाम ‘गुल’ हूँ
हो तुम मेरी खुशबू
मेरे आस-पास ही दिखना
होना मुझसे दूर पलक ना
मुझे अपने आस-पास ही रखना ।।जलं।।
मैं लाया चन्दन घट
है मेरा रिश्ता, तुम से कुछ हट
मैं सार्थ नाम ‘गुल’ हूँ
हो तुम मेरी खुशबू
मेरे आस-पास ही दिखना
होना मुझसे दूर पलक ना
मुझे अपने आस-पास ही रखना ।।चन्दनं।।
मैं लाया धान निरे
हैं मेरे संबंध, तुमसे गहरे
मैं सार्थ नाम ‘गुल’ हूँ
हो तुम मेरी खुशबू
मेरे आस-पास ही दिखना
होना मुझसे दूर पलक ना
मुझे अपने आस-पास ही रखना ।।अक्षतं।।
मैं लाया दिव्य कुसुम
मैं जिस्म हूँ, मेरी रूह हो तुम
मैं सार्थ नाम ‘गुल’ हूँ
हो तुम मेरी खुशबू
मेरे आस-पास ही दिखना
होना मुझसे दूर पलक ना
मुझे अपने आस-पास ही रखना ।।पुष्पं।।
मैं लाया व्यंजन घृत
तेरे ये बोल, हैं मुझे अमरित
मैं सार्थ नाम ‘गुल’ हूँ
हो तुम मेरी खुशबू
मेरे आस-पास ही दिखना
होना मुझसे दूर पलक ना
मुझे अपने आस-पास ही रखना ।।नैवेद्यं।।
मैं लाया दीप रतन
जा टिकते तुम पर, ये मेरे नयन
मैं सार्थ नाम ‘गुल’ हूँ
हो तुम मेरी खुशबू
मेरे आस-पास ही दिखना
होना मुझसे दूर पलक ना
मुझे अपने आस-पास ही रखना ।।दीपं।।
लाया में सुर सुर’भी
सिर्फ़ तुम पर, मेरी श्रद्धा उमड़ी
मैं सार्थ नाम ‘गुल’ हूँ
हो तुम मेरी खुशबू
मेरे आस-पास ही दिखना
होना मुझसे दूर पलक ना
मुझे अपने आस-पास ही रखना ।।धूपं।।
मैं लाया फल भेले
हो हमारे, तुम एक अकेले
मैं सार्थ नाम ‘गुल’ हूँ
हो तुम मेरी खुशबू
मेरे आस-पास ही दिखना
होना मुझसे दूर पलक ना
मुझे अपने आस-पास ही रखना ।।फलं।।
मैं लाया सरब दरब
मैं तेरा हूँ बस, मुझे है इसका गरब
मैं सार्थ नाम ‘गुल’ हूँ
हो तुम मेरी खुशबू
मेरे आस-पास ही दिखना
होना मुझसे दूर पलक ना
मुझे अपने आस-पास ही रखना ।।अर्घ्यं।।
=कीर्तन=
जय जयतु जयतु गुरु जी
नमोऽस्तु गुरु जी
नमोऽस्तु गुरु जी
जय जयतु जयतु गुरु जी
जयमाला
पूरे करना है वे सपने
किसी और ने नहीं
जिन्हें देखा है, स्वयं गुरुवर ने
इसके लिये
जी नहीं चुराना है
रात दिन इक कर जाना है
कदम दर कदम बढ़ाना है
‘कि कल दीवाली मने
पूरे करना है वे सपने
किसी और ने नहीं
जिन्हें देखा है, स्वयं गुरुवर ने
इसके लिये
कर्त्तव्य निभाना है
दृष्टि अधिकार हटना है
हौंसला बढ़ाना है
और का, खुद का, जितना बने
‘कि कल दीवाली मने
पूरे करना है वे सपने
किसी और ने नहीं
जिन्हें देखा है, स्वयं गुरुवर ने
इसके लिये
नहीं आँख दिखाना है
दिल से हाथ मिलाना है
संगठन बनाना है
डाल टूटे, रहते तने तने
‘कि कल दीवाली मने
पूरे करना है वे सपने
किसी और ने नहीं
जिन्हें देखा है, स्वयं गुरुवर ने
इसके लिये
अभिमान गलाना है
स्वाभिमान जगाना है
यानी कुरबाँ कर जाना है
दिलो-जाँ अपने अपने
‘कि कल दीवाली मने
पूरे करना है वे सपने
किसी और ने नहीं
जिन्हें देखा है, स्वयं गुरुवर ने
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
तलक बुझूँ
इन आपके हाथों की ओट चाहूँ
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