- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 970
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
लिये भींगे नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।स्थापना।।
जल गगरी लाया
दुनिया धूप खरी
गुरु-कृपा घनी छाया
बस सुनी चला आया
लिये भींगे नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।जलं।।
गन्ध निरी लाया
दुनिया धूप खरी
गुरु-कृपा घनी छाया
बस सुनी चला आया
लिये भींगे नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।चन्दनं।।
धाँ विरली लाया
दुनिया धूप खरी
गुरु-कृपा घनी छाया
बस सुनी चला आया
लिये भींगे नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।अक्षतं।।
पुष्प लरी लाया
दुनिया धूप खरी
गुरु-कृपा घनी छाया
बस सुनी चला आया
लिये भींगे नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।पुष्पं।।
चरु मिसरी लाया
दुनिया धूप खरी
गुरु-कृपा घनी छाया
बस सुनी चला आया
लिये भींगे नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।नैवेद्यं।।
दीवा घी लाया
दुनिया धूप खरी
गुरु-कृपा घनी छाया
बस सुनी चला आया
लिये भींगे नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।दीपं।।
दिव सुर’भी’ लाया
दुनिया धूप खरी
गुरु-कृपा घनी छाया
बस सुनी चला आया
लिये भींगे नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।धूपं।।
फल गठरी लाया
दुनिया धूप खरी
गुरु-कृपा घनी छाया
बस सुनी चला आया
लिये भींगे नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।फलं।।
द्रव सबरी लाया
दुनिया धूप खरी
गुरु-कृपा घनी छाया
बस सुनी चला आया
लिये भींगे नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।अर्घ्यं।।
कीर्तन
जय गुरु जी, जय गुरु जी
जय गुरु जी, जय जय गुरु जी
जयमाला
जो सुमरण तुम्हारा है
वो जीवन हमारा है
तुम्हारे सुमरण बिना
जी सकता नहीं
मैं पल-भर भी
जैसे मछली जल कण बिना
पल भर भी
जी सकती नहीं
‘जी गुरु जी
दर्शन तुम्हारा
गुण कीर्तन तुम्हारा
मेरे जीवन का सहारा है
जो सुमरण तुम्हारा है
वो जीवन हमारा है
तुम्हारे सुमरण बिना
जी सकता नहीं
मैं पल-भर भी
जैसे मछली जल कण बिना
पल भर भी
जी सकती नहीं
‘जी गुरु जी
प्रवचन तुम्हारा
जल-चरणन तुम्हारा
दुख सागर का किनारा है
जो सिमरन तुम्हारा है
वो जीवन हमारा है
तुम्हारे सुमरण बिना
जी सकता नहीं
मैं पल-भर भी
जैसे मछली जल कण बिना
पल भर भी
जी सकती नहीं
‘जी गुरु जी
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
हाईकू
जिस्म रूह में
होता है रिश्ता वही
शिष्य गुरु में
Sharing is caring!