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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 950

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 950

साँचा गुरु विद्या दरबार
सुनता भक्तों की पुकार
लागी भक्तों की कतार
जय जयकार
जय जयकार
साँचा गुरु विद्या दरबार ।।स्थापना।।

ले हाथों में घट रतनार
लागी भक्तों की कतार
साँचा गुरु विद्या दरबार
सुनता भक्तों की पुकार
लागी भक्तों की कतार
जय जयकार
जय जयकार
साँचा गुरु विद्या दरबार ।।जलं।।

ले हाथों में चन्दन झार
लागी भक्तों की कतार
साँचा गुरु विद्या दरबार
सुनता भक्तों की पुकार
लागी भक्तों की कतार
जय जयकार
जय जयकार
साँचा गुरु विद्या दरबार ।।चन्दनं।।

ले हाथों में अक्षत शाल
लागी भक्तों की कतार
साँचा गुरु विद्या दरबार
सुनता भक्तों की पुकार
लागी भक्तों की कतार
जय जयकार
जय जयकार
साँचा गुरु विद्या दरबार ।।अक्षतं।।

ले हाथों में पुष्प पिटार
लागी भक्तों की कतार
साँचा गुरु विद्या दरबार
सुनता भक्तों की पुकार
लागी भक्तों की कतार
जय जयकार
जय जयकार
साँचा गुरु विद्या दरबार ।।पुष्पं।।

ले हाथों में चरु रसदार
लागी भक्तों की कतार
साँचा गुरु विद्या दरबार
सुनता भक्तों की पुकार
लागी भक्तों की कतार
जय जयकार
जय जयकार
साँचा गुरु विद्या दरबार ।।नैवेद्यं।।

ले हाथों में दीप प्रजाल
लागी भक्तों की कतार
साँचा गुरु विद्या दरबार
सुनता भक्तों की पुकार
लागी भक्तों की कतार
जय जयकार
जय जयकार
साँचा गुरु विद्या दरबार ।।दीपं।।

ले हाथों में सुगन्ध न्यार
लागी भक्तों की कतार
साँचा गुरु विद्या दरबार
सुनता भक्तों की पुकार
लागी भक्तों की कतार
जय जयकार
जय जयकार
साँचा गुरु विद्या दरबार ।।धूपं।।

ले हाथों में फल मनहार
लागी भक्तों की कतार
साँचा गुरु विद्या दरबार
सुनता भक्तों की पुकार
लागी भक्तों की कतार
जय जयकार
जय जयकार
साँचा गुरु विद्या दरबार ।।फलं।।

ले हाथों में द्रव जुग-चार
लागी भक्तों की कतार
साँचा गुरु विद्या दरबार
सुनता भक्तों की पुकार
लागी भक्तों की कतार
जय जयकार
जय जयकार
साँचा गुरु विद्या दरबार ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
आ मंजिल से जुड़ने
गुरु जी से दिल से जुड़े

…जयमाला…
रोते किसी को भी,
देख सकते ही नहीं
रहम दिल इतने हैं
नैन नम रखते हैं
गैरों में किसी को भी,
रखते ही नहीं
मेरे गुरु जी
रोते किसी को भी,
देख सकते ही नहीं

बस कदम एक बढ़ाना हमें
बढ़ कर आते हैं, गुरु जी दो कदम
खड़े ही रहते हैं,
गुरु जी खड़े ही रहते हैं,
अपने सर पर, लेने हमारे गम, सितम
रहम दिल इतने हैं
नैन नम रखते हैं
बस कदम एक बढ़ाना हमें
बढ़ कर आते हैं, गुरु जी दो कदम

रोते किसी को भी,
देख सकते ही नहीं
रहम दिल इतने हैं
नैन नम रखते हैं
गैरों में किसी को भी,
रखते ही नहीं
मेरे गुरु जी
रोते किसी को भी,
देख सकते ही नहीं

हमारा झुकता है, झुकता रहेगा सर
चाहा कहाँ गुरु जी ने
झुका हुआ सर हमारा पर
सर झुकाने से पहले ही
मुँह तलक झोली भर दे दिया
छप्पर फाड़ कर
रहम दिल इतने हैं
नैन नम रखते हैं
चाहा कहाँ गुरु जी ने
झुका हुआ सर हमारा पर

रोते किसी को भी,
देख सकते ही नहीं
रहम दिल इतने हैं
नैन नम रखते हैं
गैरों में किसी को भी,
रखते ही नहीं
मेरे गुरु जी
रोते किसी को भी,
देख सकते ही नहीं
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
रोंआ रोंआ श्री गुरु जी कहे
न कोई भी दुखी रहे

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