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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 936

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 936

साँचे गुरु से लगन लगा ले
रंग केशरिया चुनर रँगा ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले
मनके ‘जय विद्या’ अपना ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले

लगन लगा ले
लगन लगा ले
साँचे गुरु से लगन लगा ले
रंग केशरिया चुनर रँगा ले
मनके ‘जय विद्या’ अपना ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले ।।स्थापना।।

भरके कलशे
गंगा जल से
गुरु चरणों में आन भिंटा ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले
लगन लगा ले
लगन लगा ले
साँचे गुरु से लगन लगा ले
रंग केशरिया चुनर रँगा ले
मनके ‘जय विद्या’ अपना ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले ।।जलं।।

नन्दन क्यारी
चन्दन झारी
गुरु चरणों में आन भिंटा ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले
लगन लगा ले
लगन लगा ले
साँचे गुरु से लगन लगा ले
रंग केशरिया चुनर रँगा ले
मनके ‘जय विद्या’ अपना ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले ।।चन्दनं।।

दिव्य सुहाने
अक्षत दाने
गुरु चरणों में आन भिंटा ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले
लगन लगा ले
लगन लगा ले
साँचे गुरु से लगन लगा ले
रंग केशरिया चुनर रँगा ले
मनके ‘जय विद्या’ अपना ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले ।।अक्षतं।।

पुष्प अनूठे
सुगंध फूटे
गुरु चरणों में आन भिंटा ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले
लगन लगा ले
लगन लगा ले
साँचे गुरु से लगन लगा ले
रंग केशरिया चुनर रँगा ले
मनके ‘जय विद्या’ अपना ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले ।।पुष्पं।।

पकवाँ घी के
आप सरीखे
गुरु चरणों में आन भिंटा ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले
लगन लगा ले
लगन लगा ले
साँचे गुरु से लगन लगा ले
रंग केशरिया चुनर रँगा ले
मनके ‘जय विद्या’ अपना ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले ।।नैवेद्यं।।

छव गज मोती
अनबुझ ज्योति
गुरु चरणों में आन भिंटा ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले
लगन लगा ले
लगन लगा ले
साँचे गुरु से लगन लगा ले
रंग केशरिया चुनर रँगा ले
मनके ‘जय विद्या’ अपना ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले ।।दीपं।।

चन्दन चूरी
गंध कपूरी
गुरु चरणों में आन भिंटा ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले
लगन लगा ले
लगन लगा ले
साँचे गुरु से लगन लगा ले
रंग केशरिया चुनर रँगा ले
मनके ‘जय विद्या’ अपना ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले ।।धूपं।।

नन्द बगाना
फल ऋत नाना
गुरु चरणों में आन भिंटा ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले
लगन लगा ले
लगन लगा ले
साँचे गुरु से लगन लगा ले
रंग केशरिया चुनर रँगा ले
मनके ‘जय विद्या’ अपना ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले ।।फलं।।

दिव्य पिटारी
द्रव्य निराली
गुरु चरणों में आन भिंटा ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले
लगन लगा ले
लगन लगा ले
साँचे गुरु से लगन लगा ले
रंग केशरिया चुनर रँगा ले
मनके ‘जय विद्या’ अपना ले
मन-चाहा वर नाम लिखा ले ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
पड़ते ही श्री गुरु नज़र
हवा हवाले डर

जयमाला
जय विद्या, जय विद्या सागर
सारे बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
मिल के बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
जोर से बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
गुण रत्नाकर
ज्ञान दिवाकर
जय विद्या, जय विद्या सागर

झोरी बिन माँगे भर देते
ओ ‘री मुँह-माँगा वर देते
छप्पर फाड़ दया बरसाकर
जय विद्या, जय विद्या सागर

गुण रत्नाकर
ज्ञान दिवाकर
जय विद्या, जय विद्या सागर

सारे बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
मिल के बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
जोर से बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
गुण रत्नाकर
ज्ञान दिवाकर
जय विद्या, जय विद्या सागर

आप नाम कर नाम हमारे
हाथ लगाते चाँद-सितारे,
निस्पृह अपनी गोद उठाकर
जय विद्या, जय विद्या सागर

गुण रत्नाकर
ज्ञान दिवाकर
जय विद्या, जय विद्या सागर

सारे बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
मिल के बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
जोर से बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
गुण रत्नाकर
ज्ञान दिवाकर
जय विद्या, जय विद्या सागर

देकर के भूलों की माफी
करें पास मंजिल के काफी
पाछी हवा समान धकाकर
विद्या, जय विद्या सागर

गुण रत्नाकर
ज्ञान दिवाकर
जय विद्या, जय विद्या सागर

सारे बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
मिल के बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
जोर से बोलो
जय विद्या, जय विद्या सागर
गुण रत्नाकर
ज्ञान दिवाकर
जय विद्या, जय विद्या सागर
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
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गुरु नेक कदम

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